Noida News: नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को 20 साल की सजा

विशेष पॉक्सो अदालत ने सुनाई सजा, दूसरा आरोपी बरीमाई सिटी रिपोर्टरग्रेटर नोएडा। विशेष पॉक्सो अदालत ने सुतियाना गांव निवासी आकाश कश्यप को नाबालिग से दुष्कर्म का दोषी करार देते हुए 20 साल की सजा सुनाई। विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो अधिनियम)-2 न्यायाधीश विजय कुमार हिमांशु ने मामले में सह आरोपी महोबा के शैलेंद्र को सभी आरोपों से बरी कर दिया। मामला सितंबर 2015 का है। 16 वर्षीय पीड़िता दूध लेने बाजार गई थी और लौटी नहीं। पीड़िता के भाई की शिकायत पर ईकोटेक-3 थाने में केस दर्ज किया गया था। पुलिस ने 29 सितंबर 2015 को पीड़िता को ढूंढकर उसकी चिकित्सा जांच कराई। मामले में आकाश और शैलेंद्र को आरोपी बनाया गया था। दोनों पर भारतीय दंड संहिता की धारा-363 (अपहरण), 366 (विवाह के लिए मजबूर करने के लिए अपहरण), 376 डी (सामूहिक दुष्कर्म) और पॉक्सो अधिनियम की धारा-5/6 (गंभीर यौन उत्पीड़न) के तहत आरोप लगाए गए थे। 27 मई 2016 को आरोप तय किए गए थे। पीड़िता ने बयान में बताया कि घटना वाले दिन सुबह जब वह दूध लेने बाजार जा रही थी, तो दो लड़कों ने उसे जबरदस्ती गाड़ी में धकेल दिया। उन्होंने उसके मुंह पर दुर्गंधयुक्त रूमाल रखकर बेहोश कर दिया और सूरजपुर में एक कमरे में बंद कर दिया। तीन दिन तक उसे कैद में रखा गया और दुष्कर्म किया। बचाव पक्ष के वकील ने तर्क दिया कि पीड़िता स्वेच्छा से आरोपी के साथ रह रही थी। न्यायाधीश ने सभी सबूतों और गवाहों के बयान के बाद आकाश कश्यप को धारा-376 व पॉक्सो अधिनियम की धारा-3/4 के तहत दोषी करार दिया गया। दुष्कर्म के लिए के लिए दोषी को 20 साल की सजा और 10 हजार रुपये जुर्माना जबकि पॉक्सो अधिनियम के तहत 20 साल की सजा व 12 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। दोनों सजा एक साथ चलने से दोषी को 20 साल की जेल भुगतनी होगी। वहीं, जुर्माना नहीं भरने पर दोषी को तीन महीने का अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। हालांकि, अदालत ने दोषी को धारा-363 और 366 के आरोप से बरी किया।न्यायाधीश ने कहा कि पीड़िता और दोषी आकाश के बीच पूर्व परिचय था और वह स्वेच्छा से साथ रह रहे थे। चूंकि पीड़िता नाबालिग थी। इसलिए उसकी सहमति कानूनी रूप से मान्य नहीं है। नाबालिग के साथ यौन संबंध बनाना, चाहे वह सहमति से हो कानून के तहत दुष्कर्म ही माना जाएगा। शैलेंद्र के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं। उसकी बहन के बयान से पता चला कि पीड़िता और आकाश स्वेच्छा से उसके घर आए थे और शैलेंद्र ने उन्हें वहां से जाने को कहा था। इस कारण से उसे झूठे आरोप में फंसाया गया था। शैलेंद्र को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 11, 2025, 21:46 IST
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