चिंताजनक: अब तक के पांच सबसे गर्म वर्षों में शामिल होगा 2025, वैश्विक सतह का औसत तापमान 1.28 डिग्री रहा ज्यादा
साल 2025 की शुरुआत से ही वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी जारी है, जिससे एक अहम सवाल उठ रहा है कि क्या यह अब तक का सबसे गर्म साल बन सकता है। अमेरिकी संस्था नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए-नोआ) के नेशनल सेंटर फॉर एन्वायर्नमेंटल इंफॉर्मेशन (एनसीईआई) की रिपोर्ट के अनुसार, इसकी संभावना महज 3 फीसदी है। हालांकि यह लगभग तय माना जा रहा है कि 2025 अब तक के पांच सबसे गर्म वर्षों में शामिल होगा। वैश्विक सतह का औसत तापमाल 1.28 डिग्री रहा ज्यादा रिपोर्ट के अनुसार जनवरी से अप्रैल, 2025 तक वैश्विक सतह का औसत तापमान 20वीं सदी के औसत से 1.28 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा जो रिकॉर्ड में दूसरा सबसे गर्म तापमान है। जनवरी से अप्रैल 2025 के बीच वैश्विक स्तर पर सतह का औसत तापमान नोआ के 176 वर्षों के रिकॉर्ड में दूसरा सबसे गर्म है। इससे पहले 2024 की शुरुआत सबसे गर्म रही थी। उस समय तापमान सामान्य से 1.34 डिग्री ऊपर था। इस अवधि में आर्कटिक महासागर, एशिया, उत्तरी कनाडा और यूरोप जैसे क्षेत्रों में तापमान सामान्य से 2.5 डिग्री सेल्सियस तक अधिक दर्ज किया गया। यह भी पढ़ें - Monsoon Alert: इस बार छह दिन पहले दस्तक दे सकता है मानसून, आखिरी बार 2009 में हुआ था ऐसा, जानें आंकड़ें उत्तरी गोलार्ध में बर्फ का आवरण भी काफी कम उत्तरी गोलार्ध में बर्फ का आवरण सामान्य से 8.2 लाख वर्ग मील कम रहा। यह लगातार दूसरा साल है जब अप्रैल में सबसे कम बर्फ का विस्तार देखा गया। वैश्विक स्तर पर समुद्री बर्फ का विस्तार भी औसत से 4.8 लाख वर्ग मील कम था। इस वर्ष उत्तर अमेरिका और ग्रीनलैंड में बर्फ का आवरण 1,20,000 वर्ग मील कम था, जबकि यूरेशिया में यह 7,10,000 वर्ग मील कम देखा गया। विशेष रूप से बर्फ में यह गिरावट अमेरिका और सेंट्रल एशिया में अधिक देखी गई। हालिया बारिश नुकसानदेह नहीं, प्रमुख फसलों का उत्पादन बढ़ेगा- कृषि सचिव देश के कई हिस्सों में भीषण गर्मी के बाद हालिया बारिश ने प्रमुख फसलों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है। बल्कि इससे मूंग, मक्का और धान जैसी ग्रीष्मकालीन फसलों के उत्पादन बढ़ाने की उम्मीद है। कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने बृहस्पतिवार को यह बात कही। चतुर्वेदी ने कहा कि वर्ष की इस अवधि के दौरान अत्यधिक गर्मी के बाद अचानक वर्षा, ओलावृष्टि और तेज हवाएं चलना सामान्य है। हालांकि, जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसी स्थितियां अप्रत्याशित और गंभीर होने की संभावना से उन्होंने इन्कार नहीं किया। कृषि सचिव ने यह भी कहा कि कि यह बारिश जायद फसलों को फायदा पहुंचाने वाली है। आगामी खरीफ सत्र के बारे में चतुर्वेदी ने कहा कि जुलाई से शुरू होने वाली धान की बुवाई की तैयारी अच्छी चल रही है। साथ ही यह भी संकेत दिया कि 2024-25 फसल वर्ष (जुलाई-जून) के लिए तीसरा अनाज उत्पादन अनुमान अगले तीन से चार दिन में जारी होने की संभावना है, जिसमें कुछ फसलों में मामूली वृद्धि की उम्मीद है। कृषि सचिव चतुर्वेदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ हिस्सों में ओलावृष्टि और तेज हवाओं के कारण पके आम और लीची के फल गिरे हो सकते हैं। लेकिन राज्य सरकारों ने अभी तक इसका आकलन नहीं किया है और मंत्रालय को कोई रिपोर्ट नहीं दी है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: May 23, 2025, 08:33 IST
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