Gandhi Jayanti 2025: कस्तूरबा से अरुणा तक, गांधी जी के जीवन में इन पांच महिलाओं का था अहम योगदान

Gandhi Jayanti 2025: 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती है। महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता और स्वतंत्रता संग्राम के महानायक के रूप में जाना जाता है।लेकिन गांधीजी की यात्रा केवल उनके अकेले के प्रयासों का परिणाम नहीं थी। उनके जीवन और संघर्ष में कई महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ये महिलाएं न केवल उनकी सहयोगी रहीं बल्कि उनकी विचारधारा, आंदोलन और सामाजिक कार्यों में कंधे से कंधा मिलाकर चलीं। गांधीजी हमेशा मानते थे कि स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के बराबर जरूरी है।उन्होंने साबित भी किया कि स्वतंत्रता आंदोलन केवल पुरुषों का नहीं, बल्कि स्त्रियों के त्याग और साहस से भी सशक्त हुआ। गांधीजी और उनकी महिला सहयोगियों का यह संबंध भारत के इतिहास में प्रेरणा का स्रोत है। आइए जानते हैं उन 5प्रमुख महिलाओं के बारे में, जो गांधीजी से जुड़ी रहीं और उनके आदर्शों को आगे बढ़ाती रहीं। गांधीजी से जुड़ी 5प्रमुख महिलाएं कस्तूरबा गांधी गांधी जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली पहली महिला कोई और नहीं, उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी थीं। दोनों का बहुत छोटी उम्र में विवाह हो गया। उसके बाद गांधी जी विदेश पढ़ने चले गए। कहा जाता है कि कस्तूरबा गांधी ने उनकी शिक्षा के लिए अपने जेवर तक बेंच दिए थे। उन्होंने गांधी जी के हर संघर्ष में उनका साथ दिया औरमहिलाओं को स्वतंत्रता आंदोलन से जोड़ने में बड़ी भूमिका निभाई। सरोजिनी नायडू 'भारत कोकिला' कहलाई जाने वाली सरोजिनी नायडू गांधीजी की निकट सहयोगी थीं। उन्होंने दांडी मार्च में भाग लिया और महिलाओं को आंदोलन से जोड़ने का नेतृत्व किया। भारत के इतिहास में उनका नाम पहली महिला राज्यपाल के तौर पर दर्ज हुआ। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष सरोजिनी नायडू की गांधी जी से मुलाकात लंदन में हुई थी। जब गांधी जी सत्याग्रह आंदोलन के दौरान जेल गए तो सरोजिनी नायडू ने ही नमक सत्याग्रह की अगुवाई की। वह स्वतंत्रता आंदोलनों में गांधी जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलती रहीं और देश को आजादी दिलाई। मीराबेन मीराबेन एक अंग्रेज महिला थीं, जिनका असली नाम मेडेलीन स्लेड था। ब्रिटिश एडमिरल सर एडमंड स्लेड की बेटी मेडेलीन गांधी जी से बहुतप्रभावित थीं। अपनी ऐशो आराम की जिंदगी छोड़ वहभारत आ गईं और अपना जीवन स्वतंत्रता संग्राम के लिए समर्पित कर दिया। वह गांधी जी के आश्रम में रहती थीं और आश्रम की सक्रिय सदस्य थीं। उनको मीरा नाम भी गांधी जी ने ही दिया था। अरुणा आसफ अली भारत छोड़ो आंदोलन (क्विट इंडिया मूवमेंट) की अगुवाई करने वाली अरुणा आसफ अलीगांधीजी की विचारधारा से गहराई से प्रभावित थीं। उन्होंने तिरंगा फहराकर आज़ादी की लड़ाई को नई दिशा दी। Aruna Asaf Ali: मिलिए अमेरिका में भारत के पहले राजदूत की पत्नी से, जिनका साहस बन गया सबके लिए प्रेरणा डॉ सुशीला नय्यर डॉ सुशीला नय्यर महात्मा गांधी के सचिव प्यारेलाल पंजाबी की बहन थीं। प्यारे लाल पंजाबी और सुशीला दोनों ही गांधी जी प्रभावित थे, हालांकि उनकी मां दोनों को महात्मा गांधी से दूर रहने को कहती थीं। बाद नें वह खुद महात्मा गांधी की समर्थक बन गईं। इस बीच सुशीला ने डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी की और गांधी जी की निजी डॉक्टर बन गईं। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान सुशीला कस्तूरबा गांधी के साथ मुंबई में गिरफ्तार हो गईं। वहीं कस्तूरबा गांधी के आखिरी दिनों में भी वह उनके साथ रहीं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 27, 2025, 08:50 IST
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