8th Pay Commission: JCM को पुरानी पेंशन बहाली की उम्मीद, 8वें CPC की संदर्भ शर्तों के लिए ये हैं मांगें

केंद्र सरकार ने पिछले दिनों कर्मचारियों के सर्वोच्च मंच 'नेशनल काउंसिल' जेसीएम से 8वें वेतन आयोग के गठन के लिए संदर्भ की शर्तें मांगी थी। उसके बाद 10 फरवरी को कर्मचारियों की राष्ट्रीय परिषद-जेसीएम की स्थायी समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता डीओपीटी सचिव ने की। इसमें आठवें वेतन आयोग के गठन की संदर्भ की शर्तों पर चर्चा की गई। कर्मचारी पक्ष की तरफ से कहा गया है कि मौजूदा परिस्थितियों में परिभाषित और गैर-अंशदायी 'पुरानी पेंशन' योजना की जरूरत है। अन्य सुझावों के साथ ही इस मांग को भी प्रमुखता से आठवें वेतन आयोग की संदर्भ की शर्तों का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। 10 फरवरी को राष्ट्रीय परिषद-जेसीएम की स्थायी समिति की बैठक में स्टाफ पक्ष का प्रतिनिधित्व कामरेड शिव गोपाल मिश्रा (सचिव) ने किया। बैठक में कर्मचारी पक्ष की तरफ से एम राघवैया (नेता), सी. श्रीकुमार, (सदस्य स्थायी समिति), जेआर भोसले, (सदस्य स्थायी समिति), गुमान सिंह (सदस्य स्थायी समिति), बीसी शर्मा, (सदस्य स्थायी समिति), रूपक सरकार, (सदस्य स्थायी समिति) और तापस बोस (सदस्य स्थायी समिति) उपस्थित रहे। जेसीएम के प्रतिनिधियों ने वेतन भत्ते तय करने वाले नियमों की बहुत अधिक समीक्षा और उनमें सुधार की जरूरत पर बल दिया है। मौजूदा समय में जीवन की आवश्यकताएं बढ़ गई हैं। कर्मचारी और उनके परिजनों का इलाज तक नहीं हो पा रहा है। परिवार में तीन इकाइयों की जगह अब न्यूनतम पांच इकाइयां होनी चाहिएं। आठवें वेतन आयोग की संदर्भ शर्तों के लिए कर्मचारी पक्ष ने कहा, जीवन की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम वेतन तय किया जाए। कर्मचारी के लिए ऐसी स्थिति रहे कि जिसमें वह सम्मानजनक तरीके से जीवनयापन कर सके। कर्मचारी पक्ष की ओर से पुरानी पेंशन योजना की बहाली करने की मांग भी की गई है। संदर्भ शर्तों में रेलवे और रक्षा नागरिक कर्मचारियों पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है। इसके अलावा पेंशनभोगियों के मुद्दे और सीजीएचएस से जुड़े प्रावधान, इन्हें भी संदर्भ की शर्तों में शामिल करने की मांग की गई है। अन्य मांगों में विभिन्न श्रेणियों के कर्मचारियों का वेतन, भत्ते, अन्य लाभ/सुविधाएं, सेवानिवृत्ति से जुड़े मुद्दे जैसे पेंशन/ग्रेच्युटी और अन्य टर्मिनल लाभ आदि की मौजूदा संरचना की जांच करना, आदि शामिल हैं। जेसीएम की तरफ से सरकार को जो सुझाव दिए गए हैं, उनमें केंद्र सरकार के कर्मचारी, औद्योगिक और गैर-औद्योगिक, दोनों शामिल हैं। इनके अलावा अखिल भारतीय सेवाओं से संबंधित कार्मिक, रक्षा बलों और अर्धसैनिक बलों के कार्मिक, डाक विभाग से संबंधित कार्मिक, केंद्र शासित प्रदेशों के कार्मिक, भारतीय लेखापरीक्षा एवं लेखा विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी, उच्चतम न्यायालय के अधिकारी एवं कर्मचारी, संसद के अधिनियम के तहत गठित नियामक निकायों (आरबीआई को छोड़कर) के सदस्य और केंद्र सरकार के स्वायत्त निकायों व संस्थानों के कर्मचारी भी शामिल हैं। कर्मचारियों की तरफ से कहा गया है कि 15वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश के संदर्भ में न्यूनतम वेतन को 'सभ्य और सम्मानजनक जीवनयापन वेतन' के रूप में प्रदान करने के लिए वेतन संरचना, लाभ, सुविधाएं, सेवानिवृत्ति लाभ, कल्याण मामले आदि का निर्धारण किया जाए। पिछले 65 वर्षों में हुए विकास और जीवन आवश्यकताओं पर विचार करते हुए डॉ. अकरोयड फॉर्मूले में संशोधन के साथ-साथ न्यूनतम मजदूरी तय करने पर सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णयों पर भी विचार किया जाए। वर्ष 2019 में राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन नीति निर्धारित करने के लिए श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति की सिफारिश के अनुसार उपभोग इकाइयों को 03 परिवार इकाइयों से बढ़ाकर 3.6 परिवार इकाइयों तक बढ़ाने पर भी विचार किया जाए। यह भी संदर्भ शर्तों का हिस्सा बने।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Feb 13, 2025, 16:14 IST
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