8th CPC: 8वें वेतन आयोग के गठन पर संशय, क्या पीएम मोदी सीधे ही करेंगे वेतन वृद्धि की घोषणा, बचे हैं महज '73' द
आठवें वेतन आयोग के गठन को लेकर केंद्र सरकार के कर्मचारी संशय में हैं। इसके पीछे एक बड़ी वजह भी है। केंद्र सरकार ने कहा था कि आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें पहली जनवरी '2026' से लागू कर दी जाएंगी, लेकिन अभी तक आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति नहीं हो सकी है। ऐसे में कर्मचारी संगठनों को यह चिंता सता रही है कि अब महज 73 दिन बचे हैं। इतने कम समय में किस तरह से आठवें वेतन आयोग का गठन होगा, उसकी सिफारिशें आएंगी, सरकार उनका अध्ययन करेगी और फिर उन्हें लागू किया जाएगा। पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग का एक बयान भी खासा चर्चा में है। उन्होंने यह संभावना जताई थी कि इस बार वेतन आयोग के गठन की बजाए, सरकार सीधे ही कर्मचारियों की सेलरी बढ़ाने की घोषणा कर दे। इसके बाद कर्मियों के बीच यह चर्चा होने लगी कि पीएम मोदी,ऐसी घोषणा कर सकते हैं। वहीं रक्षा असैन्य कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) ने 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (सीपीसी) की अधिसूचना में देरी के खिलाफ 14 अक्टूबर को अखिल भारतीय स्तर पर विरोध दिवस' मनाने की घोषणा की है। पिछले दिनों आठवें वेतन आयोग के गठन को लेकर पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग के बयान के बाद कर्मचारी संगठन, चिंतित हो उठे थे। वजह, पहले से ही आयोग के गठन में काफी अधिक देर हो चुकी है और अब ऐसी चर्चा जोरों पर है कि इस बार वेतन आयोग का गठन ही न हो। केंद्र सरकार के कर्मचारी संगठनों के नेताओं का मानना है कि जिस तरह से सरकार, आयोग के गठन को लेकर गंभीरता नहीं दिखा रही, संभव है कि प्रधानमंत्री मोदी इस बार सीधे ही वेतन बढ़ोतरी की घोषणा कर दें। आठवें वेतन आयोग के गठन न होने की स्थिति में यह घोषणा दिसंबर के आखिर में या जनवरी 2026 के प्रारंभ में हो सकती है। रक्षा असैन्य कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले सबसे बड़े ट्रेड यूनियनों में से एक, अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी. श्रीकुमार ने बताया, ऐसी संभावना कम है। वजह, आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा, कैबिनेट में पास हुए निर्णय के आधार पर की गई है। सरकार को वेतन आयोग का गठन तो करना ही पड़ेगा। संभव है कि आठवें वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने में कुछ माह की देरी हो। सरकार को उस अवधि का एरियर देना पड़ेगा। कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसबी यादव का कहना है कि सरकार, आयोग के गठन में अनावश्यक देरी कर रही है। सरकार को बिना किसी देरी के आयोग का गठन करना चाहिए। अब साल खत्म होने में महज 73 दिन बचे हैं, ऐसे में कर्मियों की चिंता जायज ही है। जेसीएम की तरफ से कई बार यह मांग की गई है कि आठवें वेतन आयोग के लिए जो 'टर्म ऑफ रेफरेंस' (टीओआर) तैयार किए गए हैं, उन्हें सर्कुलेट किया जाए। अभी तक सरकार की तरफ से टीओआर भी सार्वजनिक नहीं किया गया।श्रीकुमार ने कहा, 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (सीपीसी) की अधिसूचना में देरी के खिलाफ 14 अक्टूबर को अखिल भारतीय 'विरोध दिवस' मनाया जाएगा। इस विरोध दिवस का दूसरा एजेंडा 'पुरानी पेंशन' बहाली और तीसरा, रक्षा प्रतिष्ठानों में अनुकंपा नियुक्तियों से प्रतिबंध हटाना, शामिल रहेगा। केंद्र सरकार के कर्मचारी, पेंशनभोगी और राज्य सरकार के कर्मचारी, 8वें वेतन आयोग के गठन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, लेकिन भारत सरकार चुप है। इससे सरकारी कर्मियों में व्यापक असंतोष फैल रहा है। कर्मचारियों का तर्क है कि जहां सांसदों और विधायकों को समय-समय पर वेतन संशोधन मिलता है, वहीं सरकारी कर्मचारी और पेंशनभोगी, बढ़ती मुद्रास्फीति और स्वास्थ्य सेवा एवं शिक्षा की बढ़ती लागत के बावजूद, एक दशक से भी अधिक समय से उचित संशोधन के बिना संघर्ष कर रहे हैं। कर्मचारियों की मांग है कि आठवें वेतन आयोग की अधिसूचना का तत्काल प्रकाशन किया जाए। सरकार ने 16 जनवरी, 2025 को आठवें वेतन आयोग के गठन के अपने निर्णय की घोषणा की और राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के कर्मचारी पक्ष से संदर्भ की शर्तों (टीओआर) का मसौदा मांगा था। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के साथ चर्चा के बावजूद, आठ महीने बाद भी कोई वेतन आयोग को लेकर अधिसूचना जारी नहीं की गई है। बतौर श्रीकुमार, चूंकि सीपीसी की सिफारिशें 1 जनवरी, 2026 से लागू होनी हैं, इसलिए एआईडीईएफ केंद्र सरकार के कर्मचारियों, रक्षा कर्मचारियों, रेलवे, सशस्त्र बलों और अर्धसैनिक कर्मियों के वेतन संशोधन में देरी से बचने के लिए तत्काल कार्रवाई की मांग करता है। एआईडीईएफ, 2004 में शुरू की गई राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) और अप्रैल 2025 में शुरू की गई नई एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) का कड़ा विरोध करता है। ये दोनों ही अंशदायी और बाजार-आधारित पेंशन योजना हैं।कर्मचारी, सीसीएस पेंशन नियम 1972 (अब 2021) के तहत परिभाषित, गैर-अंशदायी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि सरकारी कर्मचारियों पर काम का बोझ बहुत ज्यादा है। वे शासन को सुचारू रूप से चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एआईडीईएफ ने रक्षा प्रतिष्ठानों में अनुकंपा नियुक्तियों पर प्रतिबंध हटाने की मांग की है। केंद्र के अन्य मंत्रालयों में अनुकंपा नियुक्तियां जारी हैं, जबकि रक्षा मंत्रालय ने निगमीकरण और जनशक्ति युक्तिकरण का हवाला देते हुए पिछले चार वर्षों से इस योजना पर रोक लगा रखी है। मृत रक्षा कर्मचारियों के परिवार, जिनमें से कई की मृत्यु कोविड-19, कार्यस्थल दुर्घटनाओं या खतरनाक कार्य परिस्थितियों के कारण हुई, बिना किसी सहारे के रह गए हैं। एआईडीईएफ ने आयुध कारखानों सहित सभी रक्षा मंत्रालय के प्रतिष्ठानों में अनुकंपा नियुक्तियों की तत्काल बहाली की मांग की है।श्रीकुमार ने कहा, कर्मचारी लंबे समय से ओपीएस बहाली की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार यूपीएस ले आई। इसे कर्मचारियों ने रिजेक्ट किया है। मुद्रास्फीति के रिकॉर्ड स्तर पर होने और वेतन में स्थिरता के कारण, कर्मचारियों और पेंशनभोगियों का कहना है कि सम्मान के साथ जीवनयापन करना एक बड़ी चुनौती बन गया है। एआईडीईएफ ने चेतावनी दी है कि जब तक सरकार आठवें वेतन आयोग की अधिसूचना जारी नहीं करती और पेंशन एवं नियुक्ति संबंधी चिंताओं का समाधान नहीं करती है तो देशव्यापी आंदोलन तेज कर दिया जाएगा।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Oct 13, 2025, 16:54 IST
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