Kullu News: आलू पर शर्तों का खेल, मशीन तय कर रही मेहनत का मोल
कंपनी की शर्तों पर खरा नहीं उतर रहा एशिया में नाम कमाने वाला लाहौल का आलूफसल खरीदने से पहले कंपनी ने लगाईं शर्तें, जो यंत्र में फिट आ रहा, उसकी हो रही खरीददिनेश जस्पाउदयपुर (लाहौल-स्पीति)। लाहौल घाटी में पसीने से सींचे खेतों की मेहनत मशीनों से मापी जा रही है। निजी कंपनियों ने बीज तो उम्मीदों के साथ बोए, मगर अब आलू खरीदने से पहले आकार की शर्तें थोप दी गई हैं। बोरियों में भरकर तैयार किए गए आलू फिर से ग्रेडिंग की कतार में हैं और किसान उलझन में फंसे हैं। ये वही किसान हैं जिनके आलू ने एशिया में नाम कमाया लेकिन अब वही आलू कंपनियों की शर्तों में फिट नहीं बैठ रहा। उम्मीदों के साथ जो वादा किया था, अब वही उनके लिए चिंता और शोषण की वजह बन गया है।लाहौल घाटी में पहली बार देखने को मिल रहा है कि कुछ निजी कंपनियों ने किसानों को आलू की बीजाई के लिए संताना बीज यह कहकर दिया था कि आलू की खरीद भी वह करेंगे। अब किसानों ने आलू को बोरियों में पैक तो कर दिया है लेकिन घाटी में पहुंचे कंपनी के लोगों ने किसानों के आलू को खरीदने के लिए शर्त लगा दी है। आलू का साइज मापने के लिए एक यंत्र लाया गया है। पैकिंग के बाद किसानों को ग्रेडिंग पर लगा दिया गया है। यंत्र में जो आलू फिट बैठ रहा है, उसे खरीदा जा रहा है। जो फिट नहीं बैठ रहा है, उसे खरीदने में कंपनी आनाकानी कर रही है। --मांग कंपनियों पर शिकंजा कसें सरकार और प्रशासनआलू उत्पादन के क्षेत्र में एशिया में नंबर वन रहने वाले लाहौल के आलू उत्पादक इस समय शोषण का शिकार हो गए हैं। किसानों का कहना है कि पहले इस तरह से उनके साथ कोई साइज को लेकर करार नहीं हुआ था। इससे आलू उत्पादक परेशान हैं। किसानों ने कहा कि पहले आपदा ने सब्जियों की फसल को बर्बाद किया। आलू की फसल से काफी उम्मीद थी लेकिन अब इसमें भी शर्त लगा दी गई है। किसानों ने सरकार, विभाग और प्रशासन से मांग की है कि ऐसी कंपनियों पर लगाम कसी जाए। अन्यथा किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।--
- Source: www.amarujala.com
- Published: Oct 18, 2025, 20:17 IST
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