अपने साथ बंधे कर्मों को स्वयं भोगता है मनुष्य : निराले बाबा

सोनीपत। राष्ट्रसंत जैनाचार्य डॉ. आचार्य दिव्यानंद सूरीश्वर महाराज (निराले बाबा) ने कहा कि मनुष्य चाहे अनुकूल हो या प्रतिकूल, उसे अपने साथ बंधे हुए कर्मों को स्वयं ही भोगना पड़ेगा। कर्म सत्ता का मनुष्य स्वयं ही निर्माण करता है। इसके अनुसार ही जीवन में अनुकूल व प्रतिकूल परिवार मिलता है।निराले बाबा, दिव्यानंद निराले बाबा चातुर्मास समिति की ओर से सेक्टर-15 में चातुर्मास पर आयोजित धर्म सभा के दौरान प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कर्मों में कोई भी फेरबदल नहीं कर सकता। भगवान महावीर स्वामी जब छह माह तक बीमार हुए तो उन्हें भी कोई नहीं बचा पाया। मनुष्य को अपने कर्म का पालन करते रहना चाहिए। समिति की ओर से निराले बाबा के सानिध्य में श्री सुंदरकांड पाठ का आयोजन भी किया गया। निराले बाबा ने श्रद्धालुओं को सुंदरकांड का महत्व समझाया। उन्होंने कहा कि सुंदरकांड पाठ से मिली शिक्षा को तोते की तरह रटने की बजाय जीवन में उतारना चाहिए। तभी जीवन की सफलता के द्वार खोले जा सकते हैं। कार्यक्रम में जगमोहन जैन, अशोक भगत, मुकेश सिंगला, दर्शन धींगड़ा, सुरेश मल्होत्रा, पवन गर्ग, सुभाष सिंगला, राय साहब, नरेश जैन, अशोक ग्रोवर, सरोज धींगड़ा, धीरज धींगड़ा, रेखा गर्ग व सरला जैन मौजूद रहीं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 24, 2024, 07:22 IST
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