आज का शब्द: अनुचर और शंभुनाथ सिंह की कविता- विषम भूमि नीचे, निठुर व्योम ऊपर !

'हिंदी हैं हम' शब्द शृंखला में आज का शब्द है- अनुचर, जिसका अर्थ है- दास, नौकर, सहचर, साथी। प्रस्तुत है शंभुनाथ सिंह की कविता- विषम भूमि नीचे, निठुर व्योम ऊपर ! विषम भूमि नीचे, निठुर व्योम ऊपर ! यहाँ राह अपनी बनाने चले हम, यहाँ प्यास अपनी बुझाने चले हम, जहाँ हाथ और पाँव की ज़िन्दगी हो नई एक दुनिया बसाने चले हम; विषम भूमि को सम बनाना हमें है निठुर व्योम को भी झुकाना हमें है; न अपने लिए, विश्वभर के लिए ही धरा व्योम को हम रखेंगे उलटकर ! विषम भूमि नीचे, निठुर व्योम ऊपर ! अगम सिन्धु नीचे, प्रलय मेघ ऊपर ! लहर गिरि-शिखर सी उठी आ रही है, हमें घेर झंझा चली आ रही है, गरजकर, तड़पकर, बरसकर घटा भी तरी को हमारे डरा जा रही है नहीं हम डरेंगे, नहीं हम रुकेंगे, न मानव कभी भी प्रलय से झुकेंगे न लंगर गिरेगा, न नौका रुकेगी रहे तो रहे सिन्धु बन आज अनुचर ! अगम सिन्धु नीचे, प्रलय मेघ ऊपर ! कठिन पंथ नीचे, दुसह अग्नि ऊपर ! बना रक्त से कण्टकों पर निशानी रहे पंथ पर लिख चरण ये कहानी बरसती चली जा रही व्योम ज्वाला तपाते चले जा रहे हम जवानी; नहीं पर मरेंगे, नहीं पर मिटेंगे न जब तक यहाँ विश्व नूतन रचेंगे यही भूख तन में, यही प्यास मन में करें विश्व सुन्दर, बने विश्व सुन्दर ! कठिन पंथ नीचे, दुसह अग्नि ऊपर ! हमारे यूट्यूब चैनल कोSubscribeकरें।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Oct 06, 2025, 19:17 IST
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