आज का शब्द: कलि और कन्हैया लाल सेठिया की कविता- जागो, जीवन के अभिमानी !
'हिंदी हैं हम' शब्द शृंखला में आज का शब्द है- कलि, जिसका अर्थ है- कलह, झगड़ा, पाप। प्रस्तुत है कन्हैया लाल सेठिया की कविता- जागो, जीवन के अभिमानी ! जागो, जीवन के अभिमानी ! लील रहा मधु-ऋतु को पतझर, मरण आ रहा आज चरण धर, कुचल रहा कलि-कुसुम, कर रहा अपनी ही मनमानी ! जागो, जीवन के अभिमानी ! साँसों में उस के है खर दव, पद चापों में झंझा का रव, आज रक्त के अश्रु रो रही- निष्ठुर हृदय हिमानी ! जागो, जीवन के अभिमानी ! हुआ हँस से हीन मानसर, वज्र गिर रहे हैं अलका पर, भरो वक्रता आज भौंह में, ओ करुणा के दानी ! जागो, जीवन के अभिमानी ! हमारे यूट्यूब चैनल कोSubscribeकरें।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Oct 24, 2025, 17:00 IST
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