आज का शब्द: निरख और सोहनलाल द्विवेदी की कविता- ओस

'हिंदी हैं हम' शब्द शृंखला में आज का शब्द है- निरख, जिसका अर्थ है- देखना, निरीक्षण करना। प्रस्तुत है सोहनलाल द्विवेदी की कविता- ओस हरी घास पर बिखेर दी हैं ये किसने मोती की लड़ियाँ कौन रात में गूँथ गया है ये उज्ज्वल हीरों की कड़ियाँ जुगनू से जगमग-जगमग ये कौन चमकते हैं यों चमचम नभ के नन्हें तारों से ये कौन दमकते हैं यों दमदम लुटा गया है कौन जौहरी अपने घर का भरा ख़ज़ाना पत्तों पर, फूलों पर, पग-पग बिखरे हुए रतन हैं नाना। बड़े सबेरे मना रहा है कौन ख़ुशी में यह दीवाली वन-उपवन में जला दी है किसने दीपावली निराली जी होता, इन ओस-कणों को अंजलि में भर घर ले आऊँ इनकी शोभा निरख-निरखकर इन पर कविता एक बनाऊँ।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Apr 09, 2025, 17:11 IST
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