आज का शब्द: सिलवट और सर्वेश्वरदयाल सक्सेना की कविता- कुछ देर और बैठो
'हिंदी हैं हम' शब्द शृंखला में आज का शब्द है- सिलवट, जिसका अर्थ है- सिकुड़ने से पड़ी हुई लकीर, शिकन, सिकुड़न। प्रस्तुत है सर्वेश्वरदयाल सक्सेना की कविता- कुछ देर और बैठो कुछ देर और बैठो – अभी तो रोशनी की सिलवटें हैं हमारे बीच। शब्दों के जलते कोयलों की आँच अभी तो तेज़ होनी शुरु हुई है उसकी दमक आत्मा तक तराश देनेवाली अपनी मुस्कान पर मुझे देख लेने दो मैं जानता हूँ आँच और रोशनी से किसी को रोका नहीं जा सकता दीवारें खड़ी करनी होती हैं ऐसी दीवार जो किसी का घर हो जाए। कुछ देर और बैठो – देखो पेड़ों की परछाइयाँ तक अभी उनमें लय नहीं हुई हैं और एक-एक पत्ती अलग-अलग दीख रही है। कुछ देर और बैठो – अपनी मुस्कान की यह तेज़ धार रगों को चीरती हुई मेरी आत्मा तक पहुँच जाने दो और उसकी एक ऐसी फाँक कर आने दो जिसे मैं अपने एकांत में शब्दों के इन जलते कोयलों पर लाख की तरह पिघला-पिघलाकर नाना आकृतियाँ बनाता रहूँ और अपने सूनेपन को तुमसे सजाता रहूँ।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Sep 09, 2024, 18:42 IST
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