आज का शब्द: वेदी और सुभद्राकुमारी चौहान की कविता- व्यथित हृदय
'हिंदी हैं हम' शब्द शृंखला में आज का शब्द है- वेदी, जिसका अर्थ है- शुभ या धार्मिक कृत्य के लिए बनाई हुई ऊँची छायादार भूमि, विवाह के निमित्त बनाया हुआ मंडप। प्रस्तुत है सुभद्राकुमारी चौहान की कविता- व्यथित हृदय व्यथित है मेरा हृदय-प्रदेश चलूँ उसको बहलाऊँ आज। बताकर अपना दुख-सुख उसे हृदय का भार हटाऊँ आज॥ चलूँ माँ के पद-पंकज पकड़ नयन जल से नहलाऊँ आज। मातृ-मंदिर में—मैंने कहा— चलूँ दर्शन कर आऊँ आज॥ किंतु यह हुआ अचानक ध्यान दीन हूँ, छोटी हूँ, अज्ञान! मातृ-मंदिर का दुर्गम मार्ग तुम्हीं बतला दो हे भगवान! मार्ग के बाधक पहरेदार सुना है ऊँचे-से सोपान। फिसलते हैं ये दुर्बल पैर चढ़ा दो मुझको हे भगवान्! अहा! वे जगमग-जगमग जगी ज्योतियाँ दीख रही हैं जहाँ। शीघ्रता करो, वाद्य बज उठे भला मैं कैसे जाऊँ वहाँ
- Source: www.amarujala.com
- Published: Mar 04, 2025, 15:13 IST
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