Delhi News: जेएनयू में बदलते समीकरण में एबीवीपी मजबूत, वामपंथी गुटों में असमंजस

-एबीवीपी का दावा, पिछले वर्ष के चुनावों में वामपंथी गुट अलग-अलग मैदान में उतरे थे, कई स्कूलों में हार करना पड़ा का सामना अमर उजाला ब्यूरोनई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छात्रसंघ चुनावों की आहट के साथ ही परिसर का माहौल एक बार फिर राजनीतिक रंग में रंग गया है, लेकिन इस बार तस्वीर कुछ बदली हुई है। लंबे समय से कैंपस की राजनीति पर पकड़ रखने वाले वामपंथी छात्र संगठन अब दबाव में नजर आ रहे हैं। जबकि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) पहले से अधिक संगठित और आत्मविश्वासी रूप में सामने आई है। एबीवीपी का दावा है कि पिछले वर्ष के चुनावों में वामपंथी गुट अलग-अलग मैदान में उतरे थे और कई कॉलजों में हार का सामना करना पड़ा। यहां तक कि संयुक्त सचिव पद पर भी एबीवीपी ने जीत दर्ज कर इतिहास रचा था। छात्र संगठन की यह सफलता उसके लगातार छात्र संपर्क, रचनात्मक गतिविधियों और प्रशासन से संवाद की सक्रिय नीति का परिणाम मानी जा रही है।एबीवीपी का दावा है कि लगातार हार से वामपंथी खेमे में बेचैनी साफ झलक रही है। देशभर के विश्वविद्यालयों दिल्ली विश्वविद्यालय, हैदराबाद विश्वविद्यालय और पंजाब विश्वविद्यालय में भी वाम छात्र संगठनों का जनाधार कम होता जा रहा है। छात्र अब टकराव और नारेबाजी की जगह काम और जवाबदेही पर जोर देने लगे हैं। यही रुझान अब जेएनयू जैसे वैचारिक परिसर में भी दिखने लगा है। एबीवीपी का आरोप है कि हार के डर से इस बार वामपंथी गुटों ने अपने मतभेद भुलाकर गठबंधन बनाने का फैसला किया है। हालांकि, छात्रों का मानना है कि यह एकता विचारधारा से ज्यादा राजनीतिक मजबूरी का नतीजा है। अंदरूनी स्तर पर नेतृत्व और एजेंडे को लेकर मतभेद बने हुए हैं, जिससे यह गठजोड़ अस्थिर दिख रहा है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Oct 30, 2025, 19:51 IST
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