अदम गोंडवी की 2 चुनिंदा ग़ज़लें
1- जिस्म की भूख कहें या हवस का ज्वार कहें सतही जज़्बे को मुनासिब नहीं है प्यार कहें । बारहा फ़र्द की अज़्मत ने जिसे मोड़ दिया, हम भला कैसे उसे वक़्त की रफ़्तार कहें । जलते इन्सान की बदबू से हवा बोझल है, फिर भी इसरार है मौसम को ख़ुशगवार कहें । आर्मस्ट्राँग तो कहता है चाँद पत्थर है, दौरे-हाज़िर में किसे हुस्न का मेयार कहें । 2-
- Source: www.amarujala.com
- Published: Oct 21, 2025, 18:35 IST
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