World AIDS Day पर विशेष: एड्स अब सामान्य रोग, मां से बच्चे तक संक्रमण का खतरा लगभग शून्य

एड्स (एचआईवी) को अब सामान्य रोग की तरह मान्यता मिलने लगी है। मौजूदा समय में डॉक्टरों की निगरानी और आधुनिक दवाओं की मदद से अब मां से उसके बच्चे तक का संक्रमण फैलने का खतरा लगभग शून्य हो गया है। पिछले पांच वर्षों में इलाज की तकनीक में हुए सुधार ने रोगियों के शरीर में वायरस के स्तर या वायरल लोड को कम कर दिया है, जिससे गर्भ में पल रहे बच्चे तक वायरस पहुंचने की संभावना काफी घट गई है। यही नहीं, एचआईवी और एड्स (पीएंडसी) अधिनियम, 2017 के चलते इस वायरस से संक्रमित लोग सामान्य तरीके से जीवन गुजर-बसर कररहे हैं। सही सलाह और मुफ्त इलाज के चलते संक्रमित महिलाएं बच्चे को नेगेटिव जन्म दे रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि नई दवाओं की मदद से न सिर्फ रोगियों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सकती है, बल्कि दवाओं के साइड इफेक्ट्स भी पहले की तुलना में कम हो गए हैं। रोग गंभीर होने की संभावना कम हुई पहले मरीजों का इलाज तब शुरू होता था, जब सीडी4 काउंट 350-500 तक पहुंचता था, लेकिन अब एचआईवी की पुष्टि होते ही इलाज शुरू किया जाता है। इससे मरीजों में टीबी, फंगल संक्रमण और अन्य गंभीर रोगों का खतरा काफी घट गया है। इस बदलाव ने एड्स पीड़ितों को सामान्य जीवन जीने की संभावना बढ़ा दी है। विशेषज्ञों ने बताया कि एचआईवी से पीड़ितों को मुख्य रूप से अवसरवादी संक्रमणों और कुछ प्रकार के कैंसर का खतरा रहता है। इनमें तपेदिक (टीबी), न्यूमोसिस्टिस निमोनिया (पीसीपी), कैंडिडिआसिस, क्रिप्टोकोकल मेनिनजाइटिस और टोक्सोप्लाजमोसिस जैसे संक्रमण शामिल हैं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Dec 01, 2025, 03:54 IST
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