सरदार जाफरी: मीर खड़ी बोली के सबसे बड़े कवि
उर्दू साहित्य में अली सरदार जाफरी शायरी के साथ-साथ आलोचनात्मक निबंधों के लिए भी प्रसिद्ध हैं। गहन अध्ययन और ऐतिहासिक समझ के साथ उन्होंने कबीर, मीर, गालिब और इकबाल पर जो लिखा है, वह अनोखा है, अद्भुत है। काव्य सौंदर्य का गहन बोध उन्हें कल्पनाओं के साथ साहित्य के यथार्थ धरातल पर भी खरा सिद्ध करता है। उनके निबंध साहित्यिक घटनाक्रम का बेलाग विवरण पेश करते हैं। ऐसा करने के दौरान उनके काव्य सौंदर्य की गरिमा पर कोई चोट नहीं पहुंचती, उसे तनिक भी छति नहीं होती। अपने निबंधों में अली सरदार जाफरी किसी विचारधारा, धर्म या पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर कलम नहीं चलाते हैं बल्कि वह बड़े साहित्यकारों और शायरों का मूल समझ कर उनका विश्लेषणात्मक विवेचन करते हैं। भाषा, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक महत्व को ध्यान में रखकर उनकी टिप्पणी कईयों के लिए साहित्यिक शोध के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है। कबीर हो या मीर या अल्लामा इकबाल हो या गालिब सभी पर सरदार जाफरी की कलम एक बेहतर अदब के साथ चली है। कवियों या साहित्यकारों की बारीकी से विवेचना ऐसी अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिलती है। जाफरी लिखते हैं कि खड़ी बोली, जिस पर वर्तमान हिंदी और उर्दू भाषा की बुनियाद है, इतने निखरे हुए रूप में मीर के यहां दिखाई देती है कि उसके बाद का हर रूप मीर की देन मालूम होता है। मीर, खड़ी बोली और भाषा की ऐसी समझ सरदार जाफरी के अलावा अन्यत्र कहीं और आप नहीं देख सकते। सीधे शब्दों में गहरे भावों की आलोचना जाफरी की विशेषता है। पेशेवर आलोचकों से वह बिलकुल जुदा हैं। वह सिर्फ इतिहास के संदर्भ में विवेचना नहीं करते बल्कि शायर-कवियों के काव्य की उनकी विविधता और खासियत के साथ विवेचना करते हैं।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Jul 19, 2017, 15:34 IST
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