Alok Kumar Mishra Poetry: सबको नहीं मिलता लहरों का आमंत्रण
हमेशा नदी से रखना एक नम अपेक्षा समय पड़ने पर पानी ही नहीं स्मृतियों से भी तर कर देगी वो पहाड़ से रखना एक दृढ़ लालसा वो बूढ़े बाबा सा हथेली पर रखेगा मुलायम बर्फ़ के फाहे ताज़ा हो जाओगे भीतर तक उड़ते बादलों से भी बांधना डोर तरल उम्मीदों की बरसें या न बरसें भविष्य की हर तस्वीर में बहेगा रंग उनका ही
- Source: www.amarujala.com
- Published: Dec 28, 2022, 14:12 IST
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