Education for Bharat: विश्वविद्यालयों की रूपरेखा को लेकर जुटे दिग्गज, शैक्षणिक चुनौतियों को लेकर जताई चिंता
अमर उजाला एजुकेशन फॉर भारत कॉन्क्लेव के दौरान आयोजित राउंड टेबल में अलग-अलग विश्वविद्यालय के प्रतिनिधियों ने भविष्य के विश्वविद्यालय विषय सहित यूनिवर्सिटी में होने बदलाव, शैक्षणिक चुनौतियां, एआई को करिकुलम का हिस्सा बनाने, साइबर सुरक्षा सहित कई दूसरे विषयों पर विचार रखें। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के कैंपस ऑफ ओपन लर्निंग की निदेशक प्रो. पायल मागो ने कहा कि एआई को करिकुलम में एकीकृत करना जरूरी है। उसके लिए स्पेशलाइज्ड कोर्स हो सकते है। शिक्षकों को भी प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है। हालांकि सावधानी बरतना भी जरूरी है कि कहीं इसका प्रभाव छात्रों की बौद्धिक क्षमता और उनके मनोविज्ञान पर न पड़ें। जिससे वह खुद को अकेला महसूस करें। भारत का एजुकेशन सिस्टम बेहतरीन कॉन्क्लेव में एमिटी यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर बलविंदर शुक्ला एआई के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि एक शिक्षक होने के नाते हमारा फर्ज है कि बच्चों पर आई का सकारात्मक प्रभाव ही पड़े। एआई को इस तरह से चैनेलाइज करें कि नकारात्मक प्रभाव बिल्कुल शून्य हो जाए। वाइस चांसलर ने कहा कि इंडिया का एजुकेशन सिस्टम जो है, वह सबसे बढ़िया है। देश विदेश से स्टूडेंट्स हमारे देश में आते हैं। शिक्षकों को भी सीखना होगा नया मॉडल आरआईएसयू के कुलपति डॉ. जवाहर श्रीशेट्टी ने एआई को क्रिएशन का शक्तिशाली टूल बताया। उन्होंने कहा कि एआई कैंपस और इंडस्ट्री के बीच प्रमुख माध्यम बनेगा। यह छात्रों को पढ़ाने में भी मदद करेगा और विवि के संचालन में भी। उन्होंने कहा शिक्षकों को अब अनलर्निंग और री-लर्निंग के लिए तैयार होना होगा। हैबिटेट सेंटर में शिक्षाविद् राजनेताओं का महाकुंभ इंडिया हैबिटेट सेंटर शनिवार को पूरे दिन शिक्षा के सबसे बड़े उत्सव का गवाह बना। अमर उजाला एजुकेशन फॉर भारत कार्यक्रम में देशभर से आए शिक्षाविदों, राजनेताओं और छात्रों के साथ दिल्ली-एनसीआर और दूर-दराज के शहरों के नामी स्कूलों के प्रधानाचार्य भी शामिल हुए। सुबह 9 बजे से ही स्टीन ऑडिटोरियम से लेकर लॉन तक खासी चहल पहल रही। दोपहर के महत्वपूर्ण सत्र में यूजीसी के पूर्व अध्यक्ष प्रो एम जगदीश कुमार ने नई शिक्षा नीति 2020 को 2030 तक पूरी तरह कैसे लागू करें, इस विषय पर चर्चा की। उन्होंने कहा, अब स्कूलों में रटंत नहीं, स्किल और रिसर्च पर जोर होगा। ये भी पढ़ें:Education for Bharat: पाठ्यक्रम और वास्तविक जीवन के अंतर को पाटना बेहद जरूरी, विशेषज्ञों ने साझा किए अनुभव लोगों ने भाजपा के राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी को बड़े ध्यान से सुना। उन्होंने मुगलकाल और अंग्रेजी हुकूमत के दौरान भारतीय भाषाओं और परंपरागत शिक्षा व्यवस्था पर बात की। शाम को समापन सत्र में सभी अतिथियों ने शिक्षा के भविष्य की योजनाओं पर विचार साझा किए। केंद्रीय उद्योग एवं वाणिज्य राज्यमंत्री जतिन प्रसाद ने कहा, यह कार्यक्रम भारतीय शिक्षा को नई दिशा देगा, जहां हर बच्चा स्किल्ड और सशक्त बनेगा।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Dec 07, 2025, 03:37 IST
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