Education for Bharat: पाठ्यक्रम और वास्तविक जीवन के अंतर को पाटना बेहद जरूरी, विशेषज्ञों ने साझा किए अनुभव

कॉन्क्लेव में छात्रों के भविष्य, शिक्षा प्रणाली और शिक्षण पद्धति में सुधार को लेकर देशभर के शिक्षाविद और विभिन्न स्कूलों के प्रधानाचार्य एक मंच पर जुटे। राउंड टेबल सत्र में शिक्षाविदों ने कहा कि आज बच्चों के पाठ्यक्रम और उनके वास्तविक जीवन के बीच बड़ा अंतर है, जिसे पाटना बेहद जरूरी है। सभी ने अनुभव साझा किए और शिक्षा सुधारों पर सुझाव दिए। ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले छात्रों के पास तकनीक की कमी है, जिससे वे अन्य छात्रों से पीछे रह जाते हैं। कार्यक्रम में नैनीताल के शेरवुड स्कूल के प्रिंसिपल अमनदीप संधू, सेंट पीटर्स स्कूल आगरा के अरविंद पिंटो, ब्रिलियंट पब्लिक स्कूल अलीगढ़ के श्याम कुंतल, प्रयागराज की ज्योति दुबे और क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग शामिल हुए। शिक्षाविदो ने कहा कि स्कूलों और शिक्षकों को छात्रों की लाइफ स्किल्स पर काम करना होगा। परिवारों को बच्चों की इमोशनल इंटेलिजेंस बढ़ाने में सहयोग करना चाहिए, ताकि वे असफलता स्वीकारें और उनसे सीख सकें। केवल पैकेज के पीछे भाग रहे छात्र और परिजन शिक्षाविदों ने कहा कि कई परिवार बच्चों को या तो अत्यधिक दुलार देते हैं या अत्यधिक दबाव। लाइफ स्किल महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन आज छात्र और परिवार पैकेज के पीछे भाग रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में संसाधनों की कमी, परिवारों का कम सहयोग और छात्रों की उपस्थिति कम होना भी प्रमुख चुनौतियां हैं। उन्होंने बताया कि छात्रों को सेल्फ-कंट्रोल, समस्या-समाधान प्रक्रिया और इनोवेटिव सोच में अभी काफी सुधार की जरूरत है। हालांकि, सभी ने माना कि आज के बच्चे बुद्धिमत्ता के स्तर पर पिछली पीढ़ियों से बेहतर हैं। छात्रों की रुचि के अनुसार रोज एक क्लास उपलब्ध कराई जानी चाहिए। सरकार जहां एक तरफ वोकेशनल ट्रेनिंग प्रोग्राम चला रही है, वहीं स्कूलों को भी इसे अपने स्तर पर शुरू करना चाहिए, ताकि छात्र पढ़ाई के साथ कौशल भी सीख सकें। स्कूलों को फाइनेंशियल लिटरेसी पर अधिक काम करने की जरूरत है, क्योंकि यह कौशल छात्रों के वास्तविक जीवन में सबसे उपयोगी साबित होगा। शिक्षकों और छात्रों को उद्योगों का विजिट कराना चाहिए, ताकि वे कार्यप्रणाली समझ सकें। ये भी पढ़ें:Education for Bharat: तकनीकी शिक्षा के लिए यह 'गोल्डन एरा', एआई की मदद से छात्र खुद बन रहे गुरु: सीताराम शिक्षक तैयार नहीं, इसलिए बच्चे नवाचार नहीं सीख रहे शिक्षाविदों ने स्वीकार किया कि शिक्षक नई जेनरेशन जेन-जी के लिए पूरी तरह तैयार नहीं हैं, जिसकी वजह से शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। शिक्षक खुद भी नवाचार से दूर हैं, इसलिए छात्र भी नवाचार की ओर नहीं बढ़ पा रहे। पाठ्यक्रम बड़ा है, जिससे नए प्रयोगों के लिए समय ही नहीं बचता। हम सिर्फ अंकों पर दे रहे ध्यान कई विशेषज्ञों ने कहा कि हम सिर्फ अंकों को सम्मान दे रहे हैं, बच्चों की वास्तविक क्षमता को नहीं। शिक्षकों को मिलने वाली ट्रेनिंग पर्याप्त नहीं है। पाठ्यक्रम को संशोधित करना बेहद जरूरी है। चिंता जताई कि एआई क्रिएटिविटी को प्रभावित कर रहा है। यही बड़ा डर है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Dec 07, 2025, 03:37 IST
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