अमेरिका की टैरिफ चाल: इस्पात पर निगाहें, चीन पर निशाना
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिका में आयातित सभी स्टील (इस्पात) और एल्युमीनियम उत्पादों पर जो 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया है, उससे प्राथमिक तौर पर अमेरिका के सहयोगी प्रभावित होंगे, लेकिन मूलतः यह उनके चिरकालिक शत्रु चीन पर प्रहार करेगा। जनवरी में अमेरिकी बाजार में इस्पात के शीर्ष पांच आपूर्तिकर्ताओं में कनाडा, ब्राजील, मेक्सिको, दक्षिण कोरिया और जर्मनी थे। अमेरिका को एल्युमीनियम निर्यात में भी कनाडा अग्रणी है, जबकि संयुक्त अरब अमीरात, रूस और चीन बहुत पीछे हैं। हालांकि, चीन सीधे अमेरिका को बहुत ज्यादा इस्पात या एल्युमीनियम निर्यात नहीं करता है। एक के बाद एक राष्ट्रपतियों और वाणिज्य विभाग के फैसलों के चलते चीन से आयातित स्टील पर कई टैरिफ लगाए जा चुके हैं। हाल ही में चीनी एल्युमीनियम पर टैरिफ बढ़ाए भी गए हैं। पिछले सितंबर में ही राष्ट्रपति जो बाइडन ने कई चीनी स्टील और एल्युमीनियम उत्पादों पर मौजूदा टैरिफ को 25 प्रतिशत तक बढ़ा दिया था। लेकिन इसका दूसरा पक्ष यह है कि वैश्विक इस्पात और एल्युमीनियम उद्योग में चीन का वर्चस्व है। इसकी विशाल, आधुनिक मिलें हर साल दोनों धातुओं का उतना ही उत्पादन करती हैं, या उससे ज्यादा, जितना कि बाकी दुनिया मिलकर करती है। इसका ज्यादातर हिस्सा चीन में ऊंची इमारतों और जहाजों से लेकर वॉशिंग मशीन और कारों तक को बनाने में इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन हाल ही में, चीन के इस्पात और एल्युमीनियम निर्यात में वृद्धि हुई है, क्योंकि इसकी अर्थव्यवस्था जूझ रही है, जिससे घरेलू मांग कम हो रही है। इनमें से कई कम लागत वाले निर्यात कनाडा और मेक्सिको जैसे अमेरिकी सहयोगियों को गए हैं, जो बदले में अपने स्वयं के अधिक महंगे उत्पादन का महत्वपूर्ण हिस्सा अमेरिका को निर्यात करते हैं। दूसरी धातुओं का निर्यात चीन द्वारा वियतनाम जैसे विकासशील देशों में किया जाता है। वियतनाम अब चीन से भारी मात्रा में अर्ध-प्रसंस्कृत इस्पात खरीदता है, इसे तैयार करता है और फिर इसे दुनिया भर के खरीदारों को वियतनामी इस्पात के रूप में निर्यात करता है। इस अप्रत्यक्ष ढंग से बढ़ रहे चीन के निर्यात ने अमेरिका में उत्पादकों और श्रमिक संघों को परेशान कर दिया है। यूनाइटेड स्टील वर्कर्स ऑफ अमेरिका के दीर्घकालिक व्यापार सलाहकार माइकल वेसल कहते हैं, चीन की अतिरिक्त क्षमता वैश्विक बाजारों को प्रभावित कर रही है और अमेरिकी उत्पादकों और श्रमिकों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा रही है। चीन के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को अपनी दैनिक ब्रीफिंग में इस्पात और एल्युमीनियम टैरिफ की योजना के बारे में कुछ खास नहीं कहा। मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने यह जरूर कहा, मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि संरक्षणवाद कहीं नहीं ले जाता। व्यापार और टैरिफ युद्धों में कोई विजेता नहीं होता। नियोजित टैरिफ का आदेश राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा चीन से सभी आयातों पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने के एक सप्ताह बाद जारी किया गया है। पिछले हफ्ते चीन ने घोषणा की थी कि वह अमेरिका से आयातित तरलीकृत प्राकृतिक गैस, कोयला, कृषि मशीनरी और अन्य उत्पादों पर जवाबी टैरिफ लगाएगा, जो सोमवार से प्रभावी हो गया। रीगन प्रशासन के समय में वरिष्ठ इस्पात व्यापार अधिकारी रहे निक टोलेरिको, जो बाद में जर्मनी के थिसेनक्रुप स्टील के लिए अमेरिकी परिचालन के अध्यक्ष बन गए और अब निवेश फर्मों और बहुत अधिक इस्पात खरीदने वाली कंपनियों को सलाह देने वाले सलाहकार हैं। उन्होंने कहा कि चीन में इस्पात की अधिकता इस्पात मिल निर्माण में असाधारण उछाल से उत्पन्न हुई, जिसकी शुरुआत 1990 के दशक के प्रारंभ में हुई और लगभग 15 वर्षों तक चली। 1940 के दशक के बाद से किसी भी देश ने दुनिया के इस्पात उद्योग पर उस पैमाने पर कब्जा नहीं जमाया है, जैसा कि आज चीन का है। उस समय अमेरिका दुनिया का आधा इस्पात बनाता था, लेकिन तब से इसकी हिस्सेदारी घटकर पांच प्रतिशत से भी कम रह गई है। कई वर्षों तक चीन के निर्माण उद्योग में भारी मात्रा में इस्पात का इस्तेमाल किया गया। निर्माण क्षेत्र में उछाल के कारण देश के 1.4 अरब लोगों के लिए भरपूर आवास उपलब्ध हुए और अन्य 30 करोड़ लोगों के लिए पर्याप्त खाली अपार्टमेंट उपलब्ध हुए। खाली पड़े अपार्टमेंटों की वजह से अब आवासीय बाजार (हाउसिंग मार्केट) में गिरावट और निर्माण कार्य में अचानक रुकावट आ गई है। बंद होने से बचने के लिए बेताब चीन की मिलों ने दुनिया भर के देशों को भारी मात्रा में इस्पात निर्यात करना शुरू कर दिया है। पिछले कई वर्षों में उन्होंने अपने स्टील के लिए लगातार कम कीमतों को स्वीकार किया है, जिससे कीमतों में वैश्विक गिरावट आई है। गिरती कीमतों ने अमेरिकी स्टील उद्योग को नुकसान पहुंचाया है, जो राजनीतिक तौर पर एक संवेदनशील मुद्दा है। यूनाइटेड स्टील वर्कर्स ऑफ अमेरिका का मुख्यालय पिट्सबर्ग में है, जो पेनसिल्वेनिया में उद्योग के लंबे समय से चले आ रहे आधार केंद्र में है, और हाल के राष्ट्रपति चुनावों के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ है। इस्पात उत्पादन में अमेरिका की पूर्व में बड़ी भूमिका का प्रतीक यूएस स्टील भी पेनसिल्वेनिया में स्थित है। चीन के खिलाफ इस्पात व्यापार का विरोध सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं है। ब्राजील, कनाडा, इंडोनेशिया और तुर्किये ने पिछले साल चीन से आयातित इस्पात पर टैरिफ में तेजी से बढ़ोतरी की है। अपने पहले कार्यकाल के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप ने दुनिया भर से आयातित इस्पात पर 25 प्रतिशत और एल्युमीनियम आयात पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाया था। इसके बाद उन्होंने दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील जैसे बड़े इस्पात उत्पादक देशों को टैरिफ से छूट दे दी, जिसके बदले में उन्होंने तय किया कि वे हर साल कितने टन इस्पात अमेरिका को भेजेंगे। लेकिन उन्होंने चीन के लिए टैरिफ को बरकरार रखा। व्यापार संरक्षण से अमेरिकी इस्पात उद्योग को मदद मिली है, जिसने पिछले छह वर्षों में अपनी क्षमता में लगभग पांचवें हिस्से की वृद्धि की है, तथा आधुनिक इस्पात मिलों का निर्माण किया है। पुरानी, कम कुशल मिलें पूर्ण के बजाय कम उत्पादन कर रही हैं। वाशिंगटन स्थित उद्योग समूह, अमेरिकन आयरन एंड स्टील इंस्टीट्यूट के अनुसार, जनवरी के अंतिम सप्ताह तक, अमेरिका में इस्पात मिलें 74.4 प्रतिशत क्षमता पर काम कर रही थीं।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Feb 12, 2025, 05:35 IST
अमेरिका की टैरिफ चाल: इस्पात पर निगाहें, चीन पर निशाना #Opinion #National #SubahSamachar