US vs China: फोन हो या फाइटर जेट; बिना इसके नहीं चलता काम, जानें उस चीज के बारे में जिस पर चीन-अमेरिका भिड़े
क्या आप जानते हैं कि आपके स्मार्टफोन से लेकर लड़ाकू विमान तक- सब में एक चीज कॉमन है जी हां वह चीज है दुर्लभ मृदा तत्व यानी रेयर अर्थ मैटेरियल्स। ये छोटे-छोटे धात्विक तत्व दुनिया में तकनीक और रक्षा क्षेत्र की रीढ़ बन चुके हैं। अमेरिका की ओर से चीन पर 100% टैरिफ के एलान की जड़ में भी यही चीज है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं फोन से लेकर फाइटर जेट तक के लिए जरूरी चीज पर चीन-अमेरिका आमने-सामने चीन ने गुरुवार को अपने रेयर अर्थ मैटेरियल्स पर प्रतिबंध बढ़ा दिए। इसके कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंपने आर्थिक प्रतिशोध की धमकी दी और संकेत दिया कि वह एशिया की आगामी यात्रा के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बैठक रद्द कर देंगे। अमेरिका ने चीन पर 1 नवंबर से 30% प्रतिशत के वर्तमान टैरिफ के अलावे 100 अतिरिक्त टैरिफ लगाने की भी धमकी दी है। चीन का एकाधिकार अब अमेरिका को हजम नहीं अमेरिका और चीन रेयर अर्थ मैटेरियल्स पर वर्तमान ट्रंप प्रशासन के पहले से आमने-सामने हैं। चीन ने बीते वर्षों से अपनी व्यापक औद्योगिक नीति के तहत इस तरह के खनिजों पर लगभग पूर्ण नियंत्रण स्थापित कर लिया है। रेयर अर्थ मैटेरियल्स पर चीन के हालिया प्रतिबंधों को अप्रैल में घोषित चीनी वस्तुओं पर ट्रंप की ओर से लगाए गए टैरिफ की प्रतिक्रिया के रूप में भी देखा जा रहा है। जिनेवा में व्यापार युद्धविराम पर सहमति के बाद, अमेरिकी अधिकारियों को उम्मीद थी कि चीन उन खनिजों पर निर्यात प्रतिबंधों में ढील देगा। हालांकि ऐसा नहीं हो सका। क्या हैं रेयर अर्थ मैटेरियल्स दुर्लभ मृदा तत्वों या रेयर अर्थ मैटेरियल्स में स्कैंडियम, यिट्रियम और लैंथेनाइड्स जैसे कुल 17 धात्विक तत्व शामिल होते हैं। हालांकि नाम के अनुसार ये तत्व दुर्लभ हैं, लेकिन सच्चााई ये है कि ये तत्व ये पदार्थ पृथ्वी की पूरी पपड़ी में पाए जाते हैं। ये सोने से भी ज़्यादा प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। तो फिर ये रेयर अर्थ मैटेरियल्स क्यों कहलाते हैं, दिक्कत कहां है दरअसल इन तत्वों का इनका खनन और प्रसंस्करण (processing) बेहद मुश्किल, महंगा और पर्यावरण के लिए नुकसानदायक होता है। रेयर अर्थ मैटेरियल्स का उपयोग कहां होता है स्मार्टफोन हो या पवन टर्बाइन, एलईडी लाइट और फ्लैट-स्क्रीन टीवी, यहां तक की रोजमर्रा की तकनीकों में भी, रेयर अर्थ मैटेरियल्स हर चीज के लिए जरूरी हैं। ये इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरियों, एमआरआई स्कैनर और कैंसर के इलाज के लिए भी बेहद महत्पूर्ण हैं। रेयर अर्थ मैटेरियल्स के बिना अमेरिकी सेना का भी काम नहीं चल सकता। सीएसआईएस के 2025 के एक शोध नोट के अनुसार, इनका उपयोग एफ-35 लड़ाकू विमानों, पनडुब्बियों, लेजरों, उपग्रहों, टॉमहॉक मिसाइलों आदि में किया जाता है। रेयर अर्थ मैटेरियल्स आते कहां से हैं अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार, खनन से प्राप्त रेयर अर्थ मैटेरियल्स के उत्पादन का 61 प्रतिशत चीन से आता है। इसके अलावे अगर रेयर अर्थ मैटेरियल्स के प्रसंस्करण के चरण को भी को भी जोड़ दें तो चीन का वैश्विक उत्पादन के 92% पर अकेला नियंत्रण है। अमेरिका और चीन के बीच इसे लेकर रार क्यों ठनी रेयर अर्थ मैटेरियल्स दो प्रकार के होते हैं। इन्हें उनके परमाणु भार के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है- भारी और हल्की। भारी दुर्लभ मृदाएं अपेक्षाकृत दुर्लभ होती हैं, और अमेरिका के पास खनन के बाद रेयर अर्थ मैटेरियल्स को अलग करने की क्षमता नहीं है। सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज में क्रिटिकल मिनरल्स सिक्योरिटी प्रोग्राम की निदेशक ग्रेसलिन बस्करन ने सीएनएन को बताया, "इस साल की शुरुआत तक, कैलिफोर्निया में हमने जितने भी भारी रेयर अर्थ मैटेरियल्स का खनन किया, उसे अलग-अलग करने के लिए हमें चीन भेजना पड़ा।" हालांकि, अप्रैल में ट्रम्प प्रशासन की ओर से चीन पर अत्यधिक शुल्क लगाने की घोषणा ने इस प्रक्रिया को पटरी से उतार दिया। उन्होंने कहा, "चीन ने रेयर अर्थ मैटेरियल्स को अलग-अलग करने के लिए अमेरिका की चीन पर निर्भरता को हथियार बनाने की मंशा दिखाई है।" बस्करन के अनुसार, अमेरिका के कैलिफोर्निया में रेयर अर्थ मैटेरियल्स का एक खदान चालू है। व्यापार युद्ध में रेयर अर्थ मैटेरियल्स की क्या भूमिका है वाशिंगटन और बीजिंग के बीच जारी व्यापार युद्ध में ड्रैगन रेयर अर्थ मैटेरियल्स पर अपनी बढ़त का फायदा उठा रहा है। इन धातुओं पर चीन ने हालिया प्रतिबंध ऐसे समय में लगाए हैं जब शी और ट्रंप इस महीने के अंत में दक्षिण कोरिया में होने वाले एपीईसी शिखर सम्मेलन में मिलने वाले हैं। अपने सबसे हालिया कदम में, चीन ने पांच दुर्लभ रेयर अर्थ मैटेरियल्स- होल्मियम, एर्बियम, थुलियम, यूरोपियम, यटरबियम, और संबंधित चुम्बक व पदार्थ- को अपनी मौजूदा नियंत्रण सूची में शामिल कर लिया है। अब इनके निर्यात के लिए लाइसेंस की जरूरत होगी। चीन के इस कदम से प्रतिबंधित दुर्लभ मृदा तत्वों की कुल संख्या 12 हो गई है। चीन से देश के बाहर दुर्लभ मृदा निर्माण तकनीकों के निर्यात के लिए भी अब लाइसेंस जरूरी होगा। 2023 अमेरिकी आयात का 70 फीसदी चीन से आया यह पहली बार नहीं है जब दुर्लभ मृदा खनिजों पर चीन के प्रतिबंधों ने ट्रंप कोभड़काया है। जून में ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर कहा था कि चीन ने व्यापार समझौते का उल्लंघन किया है क्योंकि बीजिंग ने सात दुर्लभ मृदा खनिजों और उनसे जुड़े उत्पादों पर अपने निर्यात नियंत्रण बनाए रखे हैं। इन नियंत्रणों का बड़ा असर हो सकता है, क्योंकि अमेरिका दुर्लभ मृदा तत्वों के लिए चीन पर बहुत अधिक निर्भर है। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की एक रिपोर्ट के अनुसार 2020 और 2023 के बीच अमेरिका की ओर से दुर्लभ मृदा यौगिकों और धातुओं के आयात का 70% हिस्सा चीन से ही आया। लेकिन चीन के नए प्रतिबंधों को दुनिया की दो सबसे बड़ी शक्तियों को एक बार आमने-सामने कर दिया है। ट्रंप की दो टूक- जिनपिंग ने आर्थिक रूप से मुकाबले के लिए मजबूर किया ट्रम्प ने ट्रुथ सोशल फ्राइडे पर लिखा , "चीन ने जो शत्रुतापूर्ण 'आदेश' जारी किया है, उसके बाद अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में मुझे उनके (जिनपिंग) कदम का आर्थिक रूप से मुकाबला करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।" उन्होंने कहा, "प्रत्येक तत्व जिस पर चीन ने अपना एकाधिकार जमा लिया है, वे हमारे पास उससे दोगुना हैं।"
- Source: www.amarujala.com
- Published: Oct 11, 2025, 19:47 IST
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