Anurag Anant Poetry: मरना तो इस तरह मरना!
मरना सबको है इस तरह मरना जैसे मरती है दुर्भावना इस तरह मत मरना जैसे मरती है मन की बात उतरते हुए नज़र से चढ़ते जाना निगाह में अच्छी बात नहीं है अच्छा तो यह भी नहीं है कि इतने ताकतवर बन जाओ तुम कि तुम्हारे सामने पड़ते ही आदमी को अपनी कमज़ोरी दिखने लगे अच्छा तो ये है कि दिन भर दिहाड़ी करते मज़दूर को आती है जैसे नींद वैसे आये मौत और तुम उसके साथ ऐसे जाओ जैसे गाय के पीछे पीछे चला जाता है बछड़ा
- Source: www.amarujala.com
- Published: Mar 31, 2025, 18:53 IST
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