Noida News: नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी की अपील खारिज, सजा बरकरार
अदालत ने कहा- पीड़िता के बयान विश्वसनीय, अन्य साक्ष्यों की आवश्यकता नहींअमर उजाला ब्यूरोनई दिल्ली। हाईकोर्ट ने शनिवार को दुष्कर्म के आरोपी की अपील खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट से मिली सजा को बरकरार रखा। न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी की बेंच ने पीड़िता के बयान को विश्वसनीय मानते हुए कहा कि अन्य किसी साक्ष्य की कमी होने पर भी पीड़िता के बयान को खारिज नहीं किया जा सकता। दोषी को तुरंत जेल भेजा जाए।पेश मामले के मुताबिक, घटना 17 जून 2013 की सुबह करीब 4 बजे की है। पीड़िता और दोषी इरफान दोनों संगम विहार की एक ही इमारत में किराये के मकान में रहते थे। पीड़िता पानी भर रही थी तभी इरफान ने उसे बात करने के बहाने खाली कमरे में खींच लिया और दुष्कर्म किया। उसने धमकी दी कि अगर किसी को बताया तो भाई को मार देगा। डर की वजह से लड़की ने कई दिन तक किसी को कुछ नहीं बताया। 21 जून 2013 को जब इरफान सामान बांधकर भागने लगा तो लड़की ने मां को सारी बात बताई। इसके बाद पुलिस बुलाई गई ट्रायल कोर्ट ने 25 नवंबर 2016 को इरफान को दुष्कर्म और पॉक्सो के तहत दोषी ठहराकर 7 साल कठोर कारावास के साथ 25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। अपील लंबित रहने के दौरान उसकी सजा 20 मार्च 2017 को निलंबित कर दी गई थी।इरफान के वकील ने दी दलीलअपील में इरफान के वकील ने दलील दी थी कि पीड़िता की मां को गवाह नहीं बनाया गया। घटना के समय में विरोधाभास है। चार दिन बाद एफआईआर दर्ज हुई। इसके अलावा मेडिकल रिपोर्ट में बाहरी चोट के निशान नहीं मिले। कोर्ट ने सभी दलीलें खारिज करते हुए कहा कि पीड़िता का गवाही पूरी तरह विश्वसनीय, सुसंगत और प्राकृतिक है। समय में मामूली फर्क मानवीय स्मृति की कमजोरी हो सकती है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का हवाला देते हुए कहा कि बच्चे की गवाही को बिना पुष्टि के भी स्वीकार किया जा सकता है, बशर्ते वह विश्वास योग्य हो।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 23, 2025, 19:31 IST
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