आरोग्य रेस्क्यू सिस्टम: जाम, अव्यवस्था और देरी से जूझते शहरों को मिलेगी नई लाइफ सेविंग तकनीक

एम्बुलेंस का सायरन अक्सर सड़क पर चीखता रहता है, लेकिन जाम में फंसी गाड़ियां और धीमा समन्वय उसे मौत से लड़ते मरीज के पास समय पर नहीं पहुंचने देते। इसी गंभीर समस्या को हल करने के लिए विकसित किया गया है आरोग्य रेस्क्यू रियल टाइम इमरजेंसी रेस्क्यू सिस्टम। यह ट्रैफिक, अस्पतालों, पुलिस और परिवार को एक ही नेटवर्क में जोड़कर जीवन बचाने की प्रक्रिया को नई गति देता है। इसे पुडुचेरी के द स्टडी एलिकॉल इंटरनेशनल के 11 वीं के छात्र तरुण कुमार ने बनाया है। तरुण के इस प्रोजेक्ट को सीएसआईओ में आयोजित कार्यक्रम हेकथाॅन में देश के चयनित आविष्कारों में शामिल किया गया है। तरुण ने बताया कि आरोग्य रेस्क्यू सभी बाधाओं को खत्म करने वाला एकीकृत प्लेटफॉर्म है, जो एसओएस सिग्नल मिलने के साथ ही हर संबंधित इकाई को सक्रिय कर देता है। इस सिस्टम में एम्बुलेंस की लोकेशन पारंपरिक जीपीएस से तेज जीएनएसएस ट्रैकिंग द्वारा निर्धारित की जाती है और वह डेटा सीधे क्लाउड सिस्टम तक पहुंचता है। इसके आधार पर सबसे नजदीकी उपलब्ध एम्बुलेंस का चयन होता है और उसे एआई द्वारा चुने गए तेज व सुरक्षित मार्ग की दिशा दी जाती है। यह तकनीक सिर्फ रास्ता नहीं बताती ये लगातार ट्रैफिक के बदलाव, बाधाओं और अस्पताल उपलब्धता को देखते हुए दिशा अपडेट करती रहती है। ट्रैफिक सिग्नल ओवरराइड प्रोटोकॉल है खास इसका सबसे अहम पहलू उसका ट्रैफिक सिग्नल ओवरराइड प्रोटोकॉल है। जैसे ही एम्बुलेंस रूट पर आगे बढ़ती है चौराहों के सिग्नल को इसकी उपस्थिति की सूचना मिलती है और स्वतः ही ग्रीन कॉरिडोर बन जाता है। इस प्रक्रिया में क्रॉस-ट्रैफिक रोका जाता है और एम्बुलेंस को बिना किसी रुकावट के गुजरने दिया जाता है। इसी के साथ अस्पतालों को मरीज की स्थिति, पहचान और अनुमानित समय पहले ही पहुंच जाता है। आईसीयू शिफ्ट तैयार होती है, डॉक्टर तैनात हो जाते हैं और इलाज शुरू करने की तैयारी रूट में ही पूरी हो जाती है। इतने बड़े बदलाव का कारण यह है कि एम्बुलेंस में लगे सेंसर मरीज के एस पीO2, ई सी जी और पल्स जैसे सारे संकेत सीधे अस्पताल तक भेजते हैं, जहां डॉक्टर यात्रा के दौरान मरीज को मॉनिटर करते रहते हैं। आरोग्य रेस्क्यू पारंपरिक मॉडल को पलटते हुए यह साबित करता है कि सही तकनीक के उपयोग से सड़क दुर्घटनाओं, हार्ट अटैक, स्ट्रोक या किसी भी आपातकालीन स्थिति में मौतों को कम किया जा सकता है। इसका क्लाउड आधारित ढांचा इसे शहरों, राज्यों और राष्ट्रीय नेटवर्क में बिना बड़े बदलावों के लागू करने योग्य बनाता है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Dec 09, 2025, 05:41 IST
पूरी ख़बर पढ़ें »




आरोग्य रेस्क्यू सिस्टम: जाम, अव्यवस्था और देरी से जूझते शहरों को मिलेगी नई लाइफ सेविंग तकनीक #CityStates #Chandigarh #ArogyaRescueSystem #NewLife-savingTechnology #SubahSamachar