Ashok Vajpayee Poetry: मैं वहीं से आऊँगा, जहाँ से वे आए थे
मैं वहीं से आऊँगा जहाँ से वे आए थे : जहाँ पानी और नमक का उद्गम है, नदी को छूती न छूती वृक्षों की शाखाएँ हैं, बूढ़ों के चेहरों पर तकलीफ़ और सपने दोनों चमकते हैं, जहाँ बच्चों को प्रतीक्षा रहती है ताज़े फलों और गर्म रोटियों की सुगंध की। सपनों पर नाम या पता नहीं लिखा होता, फिर भी मुझे पता है कि उन पुरखों के हैं, जिन्होंने किसी झील के किनारे सुस्ताते हुए सोचा था कि राहत, हिम्मत और आकांक्षा पर सबका हक़ है और सच में, जैसे जल में, सबका हिस्सा है। मैं वहीं से आऊँगा : जहाँ से वे आए थे— मैं याद करूँगा वे बहसें जो चौक-चौबारों में हुई थीं जीवन, आचरण और मर्यादा के बारे में और उस अंत:करण को, जो सच बोलने की ज़िद पर अड़ा रहा अकेले पड़ते और घोड़े की पूँछ से बाँधकर घिसटे जाने के बावजूद।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Jan 04, 2023, 19:51 IST
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