एसोचैम का सर्वे: चुनौतियों के बीच मजबूती से बढ़ रही देश की अर्थव्यवस्था; डिजिटल परिवर्तन से तैयार हो रहे अवसर
बदलते वैश्विक आर्थिक माहौल के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती से आगे बढ़ रही है। बढ़ती लागत, नियामकीय बोझ और अन्य चुनौतियों के बावजूद बड़ी कंपनियां निर्यात के मोर्चे पर अपनी भागीदारी निभाते हुए प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हैं। इसके अलावा, विनिर्माण क्षेत्र अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, जबकि डिजिटल परिवर्तन से नए अवसर तैयार हो रहे हैं। एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) ने मंगलवार को जारी भारतीय आर्थिक विश्वास सर्वे में कहा, 250 करोड़ रुपये से अधिक की सालाना टर्नओवर वाली करीब 54 फीसदी कंपनियां देश के निर्यात में अपनी भागीदारी निभा रही हैं। वाहन एवं इससे जुड़े उपकरण, ऊर्जा, आईटी-आईटीईएस, रसायन और पेट्रोकेमिकल्स जैसे क्षेत्रों में बड़ी कंपनियों का दबदबा है। हालांकि, 250 करोड़ रुपये या उससे कम की सालाना टर्नओवर वाली करीब 76 फीसदी छोटी कंपनियों ने निर्यात में किसी भी प्रकार की भागीदारी की जानकारी नहीं दी है। इससे स्पष्ट है कि निर्यात तंत्र को मजबूत करने के लिए अधिक नीतिगत प्रोत्साहन और संस्थागत समर्थन की जरूरत है। सर्वे में शामिल 47 फीसदी कंपनियों ने बुनियादी ढांचा, कुशल श्रम और फंडिंग की लागत में मामूली बढ़ोतरी का संकेत दिया है। यूपी समेत कई राज्यों में विकसित किया मजबूत निर्यात तंत्र क्षेत्रीय दृष्टिकोण पर सर्वे में कहा गया है कि महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने कई क्षेत्रों में निर्यात के साथ मजबूत तंत्र भी विकसित किया है। इसके विपरीत, पश्चिम बंगाल, गोवा और केरल जैसे अन्य राज्यों ने विशिष्ट स्थान बनाए रखा हैं। इस भौगोलिक विविधता के लिए निर्यात प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्र आधारित रणनीतियों की जरूरत है। वैश्विक औद्योगिक केंद्र बनने के लिए समर्थन की जरूरत एसोचैम के महासचिव मनीष सिंघल ने कहा, भारतीय उद्योग लगातार उल्लेखनीय प्रदर्शन कर रहा है। लेकिन, अपनी पूरी क्षमता हासिल करने के लिए उसे और अधिक समर्थन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, भारत को वैश्विक औद्योगिक केंद्र के रूप में उभरने के लिए विनिर्माण एवं प्रौद्योगिकी सेवाओं, विनियामक सुधारों, किफायती फंडिंग, विश्वसनीय बुनियादी ढांचे और वैश्विक मूल्य शृंखलाओं में मजबूत एकीकरण के जरिये समर्थन दिया जाना चाहिए। पीएलआई की सराहना, पर असमान पहुंच चिंताजनक निर्यात में भागीदारी निभाने वाली करीब 32 फीसदी कंपनियों ने उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना जैसे सरकारी पहल की सराहना की है। साथ ही, इसकी असमान पहुंच को लेकर चिंता भी जताई है। उनका कहना है कि बड़ी कंपनियों ऐसी योजनाओं से अधिक जुड़ती हैं, जबकि छोटी फर्मों को लाभ हासिल करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Jun 18, 2025, 04:39 IST
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