Ujjain Mahakal: भीड़ के साथ बढ़ा बाबा महाकाल का खजाना, दो वर्ष में चार गुना बढ़त, करीब 60 करोड़ पहुंचा आंकड़ा

वैसे तो विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध है। बाबा महाकाल के चमत्कारों के साथ ही मंदिर में प्रतिदिन होने वाली भस्म आरती और बाबा महाकाल के दिव्य दर्शन से हर कोई उज्जैन आने को लालयित रहता है। बाबा महाकाल के दर्शन करने के बाद श्रद्धालु खुले हाथों से दान भी कर रहे हैं। कोई बाबा महाकाल को सोने चांदी के आभूषण चढ़ा रहा है तो कोई अन्य तरीकों से बाबा महाकाल के दरबार में दान करना चाहता है।मंदिर को मिलने वाला दान भी पिछले चार वर्षों में चार गुना बढ़ गया है। महाकाल मंदिर में भक्तों की सैलाब बढ़ने लगा है। महाकाल लोक बनने के बाद रोजाना लगभग डेढ़ से दो लाख भक्त दर्शन के लिए आ रहे हैं। पहले यह संख्या प्रतिदिन 40 से 50 हजार थी, लेकिन भक्तों की संख्या बढ़ने से मंदिर को मिलने वाला दान भी पिछले चार वर्षोंमें चार गुना बढ़ गया है। वर्ष 2019-20 में मंदिर को लगभग 15 करोड़ रुपये दान मिला था। वहीं वर्ष 2023-24 में यह बढ़कर 59.91 करोड़ रुपये हो गया। 2024-25 में अब तक 51.22 करोड़ रुपये का दान आ चुका है। यह राशि सिर्फ दान पेटियों में डाले गए दान की है। खास बात यह है इसमें लड्डू प्रसादी, भस्मारती शुल्क दर्शन, शृंगार बुकिंग, आभूषण और अन्य से मिली राशि को नहीं जोड़ा गया है। महाकाल लोक बनने के बाद ऐसे बढ़ गया दान महाकाल मंदिर प्रशासक प्रथम कौशिक ने बताया कि श्री महाकाल लोक वर्ष 2022 के अक्तूबर माह में भक्तों के लिए खोल दिया गया था। उस समय 2021-2022 की दान राशि लगभग 20 करोड़ थी। 2022-2023 में दान राशि बढ़कर लगभग 39 करोड़ हो गई। 2023 से 2024 में दान राशि लगभग 60 करोड़ तो 2024 से 2025 में दान राशि 51 करोड़ 22 लाख 39 हजार 268 रुपए पहुंच गई है। ये भी पढ़ें-त्रिपुंड और रुद्राक्ष की माला पहनकर सजे बाबा महाकाल, भस्म आरती में हुए दिव्य स्वरूप के दर्शन श्रद्धालुओं की लगातार बढ़ रही संख्या उज्जैन में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। साल 2023 में 5.3 करोड़ लोग उज्जैन आए थे। साल 2024 में यह आंकड़ा बढ़कर 7.4 करोड़ हो गया है। इसका मतलब है कि एक साल में लगभग 40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। पिछले दो वर्षोंमें 12 करोड़ 32 लाख से ज्यादा श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन के लिए उज्जैन पहुंचे हैं। यह भी मिला दान पेटी से मंदिर प्रशासक प्रथम कौशिक ने बताया कि मंदिर की दान पेटी से 64 किलो ऐसे आभूषण हैं, जोकि दानपेटी से कैश के साथ निकले हैं,जिसमें हीरे की अंगूठी, बेशकीमती घड़ियां, डॉलर सहित अन्य देशों की मुद्रा भी शामिल है। ये भी पढ़ें-इंदौर की सड़कों पर सुबह गूंजे विट्ठला-विट्ठला के जयकारे, शाम को ताजियों के साथ गूंजेया हुसैनया हुसैन के नारे ऐसे बढ़ी मंदिर की आय मंदिर प्रशासक प्रथम कौशिक ने बताया कि मंदिर के दान पेटी में आने वाले दान के साथ ही मंदिर की आय और भी स्त्रोतों से बढ़ी है। मंदिर की अपनी लड्डू प्रसादी यूनिट है। लड्डू प्रसाद बेचकर, भोजन शुल्क लेकर भोजन करवाया जाता है। इससे अलग आय होती है, हालांकि ये दोनों ही जगह नो प्रॉफिट नो लॉस वाला मंदिर मानता है। शीघ्र दर्शन 250 रुपये प्रति व्यक्ति शुल्क, 200 रुपये भस्मार्ती दर्शन शुल्क, धर्मशाला बुकिंग शुल्क, शृंगार, ध्वजा बुकिंग, उज्जैन तीर्थ दर्शन बस सेवा, गोशाला से होने वाली आय अलग है। 6 वर्ष में आई इतनी दान राशि 2018 -19 - 16,18,76,445 2019-20 - 15,04,68,572 2020-21 - 09,46,04,472 2021-22 - 19,97,42,018 2022-23 - 38,91,54,901 2023-24 - 59,91,20,297 2024-25 - 51,22,39,270

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jul 07, 2025, 07:22 IST
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