Healthe: बीमा कंपनियों और अस्पतालों के विवाद में बंद हो सकता है कैशलेस इलाज, लाखों पॉलिसीधारक होंगे प्रभावित

बजाज आलियांज समेत कई स्वास्थ्य बीमा कंपनियों के लाखों पॉलिसीधारकों को एक सितंबर से कैशलेस इलाज की सुुविधा नहीं मिलेगी। इसकी प्रमुख वजह इलाज खर्च को लेकर अस्पतालों और बीमा कंपनियों के बीच लंबे समय से चल रहा विवाद है। इस विवाद के कारण मैक्स हेल्थकेयर और मेदांता सहित देशभर के 15,200 से अधिक अस्पतालों ने बजाज आलियांज हेल्थ इंश्योरेंस के लिए कैशलेस इलाज बंद करने का फैसला किया है। इसका खामियाजा न सिर्फ बजाज आलियांज, बल्कि टाटा एआईजी, स्टार हेल्थ और केयर हेल्थ जैसी बीमा कंपनियों के ग्राहकों को भी भुगतना पड़ेगा। उधर, अस्पतालों का कहना है कि उन्हें कम भुगतान किया जा रहा है। दावा निपटान के लिए महीनों इंतजार कराया जा रहा है। ऐसे में वे कैशलेस इलाज जारी नहीं रख सकते। उनका कहना है कि बजाज आलियांज जब तक टैरिफ में संशोधन और दावा निपटान में सुधार के लिए सहमत नहीं होगी, तब तक कैशलेस इलाज बंद रहेगा। ये भी पढ़ें:-अतुल माहेश्वरी छात्रवृत्ति परीक्षा: अंतिम दो दिन बचे, 30 अगस्त अंतिम तिथि; छात्रवृत्ति से दें सपनों को उड़ान क्या है विवाद की जड़ एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स ऑफ इंडिया (एएचपीआई) ने कहा, बजाज आलियांज ने कई वर्षों से टैरिफ और रीइंबर्समेंट रेट अपडेट नहीं किया है। चिकित्सा महंगाई सालाना 7-8% बढ़ रही है। अस्पतालों का आरोप है कि कंपनी मनमाने ढंग से बिल में कटौती करती है। दावा निपटान में देरी करती है, जिससे उनपर वित्तीय दबाव पड़ता है। असरखुद करनी होगी लाखों की व्यवस्था एक सितंबर से पॉलिसीधारकों को अब सर्जरी, ओपीडी और अस्पताल में भर्ती होने के लिए खुद लाखों रुपये का भुगतान करना होगा। बाद में रीइंबर्समेंट के लिए बीमा कंपनी के पास आवेदन करना होगा, जिसमें पैसे आने में समय लगता है। ये भी पढ़ें:-RSS: मोहन भागवत बोले- धर्म पूजा पद्धति नहींविविधता में संतुलन का ज्ञान, धर्मांतरण की कोई जगह नहीं अब क्या करें पॉलिसीधारक इलाज से पहले जांच लें कि कैशलेस सुविधा उपलब्ध है या नहीं। रीइंबर्समेंट में कोई दिक्कत न हो, इसके लिए हर बिल, डिस्चार्ज समरी और टेस्ट रिपोर्ट संभाल कर रखें। देरी से बचने के लिए जल्द पूरे दस्तावेजों के साथ बीमा कंपनी के पास रीइंबर्समेंट फॉर्म जमा करें। रीइंबर्समेंट में क्या-क्या कवर होगा और कौन से खर्च शामिल नहीं होंगे, इसकी जानकारी पहले से हासिल करें। दरों को संशोधित न करना, दावों पर मनमाने ढंग से कटौती, भुगतान में देरी से अस्पतालों पर वित्तीय दबाव बढ़ गया है। यही प्रक्रिया जारी रही तो मरीज की देखभाल से समझौता हो सकता है। -डॉ. गिरधर ज्ञानी, महानिदेशक, एएचपीआई हम सभी मुद्दों के समाधान की कोशिश कर रहे हैं। एएचपीआई प्रतिनिधियों के साथ बृहस्पतिवार को बैठक बुलाई गई है। -भास्कर नेरुरकर, हेड, हेल्थ एडमिनिस्ट्रेशन टीम, बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 28, 2025, 07:15 IST
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