Banda: तीन वर्षीय मासूम को अगवा कर दुष्कर्म और हत्या के दोषी को फांसी

तीन वर्षीय मासूम बच्ची का अपहरण कर बंधक बनाने औ दुष्कर्म के बाद मरणासन्न अवस्था में जंगल में फेंकने व इलाज के दौरान बच्ची की मृत्यु होने के दोषी को विशेष न्यायाधीश पाक्सो प्रदीप कुमार मिश्रा की अदालत ने सोमवार को मृत्यु होने तक फांसी पर लटकाए जाने की सजा सुनाई है। साथ ही अन्य धाराओं में भी सजा समेत 65 हजार का जुर्माना भी लगाया है। दोषी घटना के बाद से जेल में निरुद्ध चल रहा था। फैसले के बाद उसे जेल भेजा गया है। जिला शासकीय अधिवक्ता विजय बहादुर सिंह परिहार, विशेष लोक अभियोजक कमल सिंह गौतम, शिवपूजन सिंह पटेल ने बताया कि चिल्ला थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी व्यक्ति ने तीन जून की रात 11 बजे रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि तीन जून को शाम करीब चार बजे से उसकी तीन वर्षीय पुत्री को पड़ोसी सुनील कुमार टॉफी देने का लालच देकर अपने घर ले गया था। इसके बाद उसने मासूम बच्ची से गुटखा मंगाया था। तब से उसकी पुत्री लापता थी। सभी गांव वासियों के साथ उसने खोजबीन की, लेकिन उसकी पुत्री नहीं मिली थी। उसे शंका है कि सुनील कुमार ने उसकी पुत्री को गायब किया है। इस पर पुलिस ने रात में ही सुनील को गिरफ्तार कर उसकी निशानदेही पर पीड़िता के पहने हुए कपड़े बरामद करने के लिए घटनास्थल पर ले जाया गया था वहां उसने तमंचा छिपाकर रखा था। तमंचे से उसने पुलिस पर फायरिंग कर दी थी। पुलिस ने जवाबी फायरिंग में सुनील के पैर में गोली लगने से वह घायल हो गया था। पुलिस ने मासूम बच्ची को जंगल से बरामद कर जिला अस्पताल फिर रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज ले जाकर मेडिकोलीगल कराया गया। जिससे उसके सात जाहिरा चोटें पाईं गईं थीं। डॉक्टरों की सलाह पर कानपुर हैलट में भर्ती कराया था। यहां बच्ची की इलाज के दौरान 12 जून को मौत हो गई थी। विवेचक ने 14 जून को आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया था। 11 गवाहों के बयान कराए गए थे। चार अगस्त को दोषी सुनील निषाद के भी सफाई के रूप में बयान लिए थे। आठ अगस्त को बहस की गई। दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश ने सुनील कुमार को मासूम के साथ पाक्सो दुष्कर्म करने, उसकी हत्या का रूप देने की धारा में उसे फांसी की सजा सुनाई है। आदेश में न्यायाधीश ने यह लिखा है कि मृत होने तक उसे फांसी पर लटकाया जाएगा। न्यायाधीश ने 74 पन्ने के फैसले में अपनी टिप्पणी देते हुए इसे विरल से विरतम अपराध की श्रेणी में रखा है। फैसला के समय दोषी के माता-पिता अदालत में मौजूद थे। फांसी की सजा सुनने के बाद उनकी आंखों में आंसू छलक आए। इस दौरान कोर्ट परिसर में भारी पुलिस फोर्स मौजूद रही। पीड़ित पक्ष से मासूम की मां और नाना मौजूद रहे थे।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 08, 2025, 19:56 IST
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