भगवत रावत की कविता- हमने चलती चक्की देखी
हमने चलती चक्की देखी हमने सब कुछ पिसते देखा हमने चूल्हे बुझते देखे हमने सब कुछ जलते देखा हमने देखी पीर पराई हमने देखी फटी बिवाई हमने सब कुछ रखा ताक पर हमने ली लम्बी जमुहाई हमने देखीं सूखी आंखें हमने सब कुछ बहते देखा कोरे हड्डी के ढांचों से हमने तेल निकलते देखा हमने धोका ज्ञान पुराना अपने मन का कहना माना पहले अपनी जेब संभाली फ़िर दी सारे जग को गाली हमने अपना फ़र्ज़ निभाया राष्ट्र-पर्व पर गाना गाया हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई आपस में सब भाई-भाई ।
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- Published: Sep 12, 2025, 16:39 IST
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