Bhai Dooj 2025: यम और यमुना की अमर कथा से जुड़ा भाई दूज: प्रेम, सुरक्षा और आशीर्वाद का पर्व भाई दूज
Bhai Dooj 2025: दीपों का पर्व दीपावली के दो दिन बाद कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाईदूज का त्योहार भाई-बहन के स्नेह और प्रेम का प्रतीक माना गया है। भाईदूज को यम द्वितीया, भातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार उस पवित्र रिश्ते का उत्सव है जिसमें न कोई स्वार्थ है, न कोई शर्त- सिर्फ प्रेम, स्नेह और अपनापन है। जहां रक्षाबंधन पर बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उसके दीर्घायु की कामना करती है, वहीं भाई दूज पर वह अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उसके सुख, समृद्धि और कल्याण की प्रार्थना करती है। यह पर्व भाई-बहन के स्नेह और जिम्मेदारी की याद दिलाने वाला है, जो आधुनिक जीवन की व्यस्तता में कहीं खोता जा रहा है। यमराज और यमुना से जुड़ी पौराणिक कथा भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्यदेव की पुत्री यमुना अपने भाई यमराज से अत्यंत प्रेम करती थीं। यमुना बार-बार यमराज को अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित करतीं, परंतु व्यस्तता के कारण वे नहीं जा पाते थे। अंततः एक दिन कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन यमराज यमुना के घर पहुंचे। यमुना ने उनका स्वागत तिलक, आरती और आदरपूर्वक भोजन से किया। यमराज ने प्रसन्न होकर यमुना से वर मांगने को कहा। यमुना ने कहा कि “जो भी बहन इस दिन अपने भाई का तिलक करे और सच्चे मन से उसकी दीर्घायु की कामना करे, उसके भाई को कभी अकाल मृत्यु का भय न हो।” यमराज ने यह वर प्रदान किया, और तभी से यह दिन भाई दूज के रूप में मनाया जाने लगा। धार्मिक दृष्टि से यह दिन मृत्यु के देवता यमराज से मुक्ति का प्रतीक माना जाता है। Bhai Dooj 2025:भाई दूज पर क्या है तिलक करने का समय जानें तिथि, मुहूर्त और मंत्र रिश्तों में अपनापन बढ़ाने का सामाजिक उत्सव भाई दूज केवल पारिवारिक नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता का भी प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को घर बुलाती हैं, उन्हें स्नेहपूर्वक भोजन कराती हैं और अपने परिवार की खुशहाली की कामना करती हैं। यह परंपरा परिवार के बीच दूरी घटाने और रिश्तों में भावनात्मक जुड़ाव बढ़ाने का माध्यम बनती है। समाज में जहां आज रिश्ते औपचारिकता तक सीमित होते जा रहे हैं, वहां भाई दूज जैसे पर्व हमें यह याद दिलाते हैं कि परिवार केवल रक्त संबंधों से नहीं, बल्कि आत्मीयता और एक-दूसरे के प्रति सम्मान से भी बनता है। यह दिन परिवार के पुनर्मिलन का, स्नेह के नवीनीकरण का और मन के मिलन का पर्व है। समानता और सम्मान का प्रतीक पर्व भाई दूज का एक सामाजिक पहलू यह भी है कि यह स्त्री और पुरुष के बीच परस्पर सम्मान का प्रतीक है। जहाँ बहन भाई के लिए शुभकामना देती है, वहीं भाई भी बहन की सुरक्षा, सहयोग और स्नेह का वचन देता है। यह संबंध किसी वर्चस्व या निर्भरता का नहीं, बल्कि समानता और संवेदना का प्रतीक है जो समाज के स्वस्थ निर्माण के लिए आवश्यक है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Oct 23, 2025, 08:38 IST
Bhai Dooj 2025: यम और यमुना की अमर कथा से जुड़ा भाई दूज: प्रेम, सुरक्षा और आशीर्वाद का पर्व भाई दूज #Wellness #Festivals #BhaiDooj2025 #SubahSamachar
