Bhopal News: दस में आठ लोग किसी न किसी त्वचा रोग से प्रभावित, देश भर के विशेषज्ञों ने साझा की नई तकनीकें

त्वचा रोगों से जुड़ी भ्रांतियों और फर्जी इलाज की चुनौती आज भी गंभीर बनी हुई है। इसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय त्वचा रोग विशेषज्ञ संघ (आईएडीवीएल) की मध्यप्रदेश शाखा के क्यूटिकॉन एमपी 2025दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस का आयोज राजधानी भोपाल में किया।दूसरे दिन विशेषज्ञ चिकित्सकों के लिए वर्कशॉप और पुरस्कार वितरण का आयोजन किया। दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस में देशभर से लगभग 400 विशेषज्ञ शामिल हुए। सही जांच एवं विशेषज्ञ से इलाज बेहद आवश्य आईडीवीएल मध्यप्रदेश ब्रांच के अध्यक्ष डॉ. नितिन कुमार पंड्या ने कहा कि कॉन्फ्रेंस का मुख्य उद्देश्य आमजन में त्वचा रोगों के प्रति जागरूकता फैलाना और चिकित्सकों को उन्नत तकनीक से लैस करना है। उन्होंने बताया कि आज दस में आठ लोग किसी न किसी त्वचा रोग से प्रभावित हैं और सही जांच एवं विशेषज्ञ से इलाज बेहद आवश्यक है। रिंग वर्म का नया फंगस बना सबसे बड़ी चिंता भारतीय त्वचा रोग विशेषज्ञ संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मंजूनाथ शिनाय ने कहा कि भारत में तेजी से फैल रहे एक नए फंगस ने रिंग वर्म के इलाज को चुनौती बना दिया है। कई मरीज इलाज के बाद ठीक हो जाते हैं लेकिन कुछ हफ्तों में संक्रमण फिर लौट आता है। उन्होंने बताया कि लोग बिना डॉक्टर की सलाह के मेडिकल स्टोर से दवाएं खरीदकर लगाते हैं, जिससे स्किन जल जाती है। जलने के बाद कुछ समय के लिए दाद गायब लगता है, लेकिन संक्रमण जड़ों में रह जाता है और दोबारा फैल जाता है। यह फंगस एक व्यक्ति से दूसरे में बहुत तेजी से फैलता है। स्किन पर सबसे ज्यादा हो रहे एक्सपेरिमेंट डॉ. शिनाय ने कहा कि मानव शरीर के किसी भी अंग से ज्यादा एक्सपेरिमेंट त्वचा पर किए गए हैं। लोग किसी भी समस्या पर घरेलू नुस्खे आजमाने लगते हैं। पिंपल्स पर लहसुन या टूथपेस्ट लगाने जैसी गलतियां स्थायी निशान छोड़ देती हैं। उन्होंने कहा कि आंख का दर्द हो तो लोग नेत्र विशेषज्ञ के पास जाते हैं, लेकिन स्किन की तकलीफ में पहले दर्जनों नुस्खे आजमाकर डॉक्टर के पास पहुंचते हैं। यही वजह है कि कई बार इलाज मुश्किल हो जाता है। बालों की समस्याएं अब किशोरों तक पहुंचीं मध्यप्रदेश ब्रांच के अध्यक्ष डॉ. नितिन कुमार पंड्या ने बताया कि 10 साल पहले बाल झड़ने की समस्या 40 वर्ष की उम्र के बाद दिखती थी, लेकिन अब यह समस्या 14 वर्ष तक के किशोरों में देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि बालों से जुड़े उत्पादों का बेतहाशा उपयोग इसकी एक बड़ी वजह है। बाजार में कई ऐसे निर्माता हैं जिनके पास मेडिकल ज्ञान नहीं है, फिर भी वे कॉस्मेटिक प्रोडक्ट बना रहे हैं। इन कंपनियों ने दवाओं में उपयोग होने वाले एक्टिव इंग्रीडिएंट्स को क्रीम और शैंपू में मिलाना शुरू कर दिया है। जबकि यह तय करना कि कौन-सा तत्व किस व्यक्ति के लिए सुरक्षित है। यह केवल विशेषज्ञ ही कर सकता है यह भी पढ़ें-जिंदगी रुकी, पर उम्मीद चलती रही, एम्स भोपाल में ब्रेन डेड युवक बना पांच लोगों का सहारा फर्जी चिकित्सकों के खिलाफ जागरूकता फैलाने में सक्रिय आज आयोजित वर्कशॉप में सात वरिष्ठ विशेषज्ञों ने आधुनिक उपचार तकनीकों और लेजर पद्धति की बारीकियां प्रतिभागियों को सिखाईं। सफेद दाग, हेयर ट्रांसप्लांट, टैटू हटाने और रेडियो फ्रिक्वेंसी तकनीक से इलाज पर गहन चर्चा हुई। आईएडीवीएल के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मंजूनाथ शिनाय ने बताया कि संघ स्किन इंश्योरेंस की नीति को लागू करने और फर्जी चिकित्सकों के खिलाफ जागरूकता फैलाने में सक्रिय है। यह भी पढ़ें-मंडी बोर्ड में 1500 करोड़ के कर्ज का विरोध, पूर्व केंद्रीय मंत्री यादव बोले- भावांतर योजना फ्लॉप नवीन तकनीक और उन्नत उपचार पद्धतियों पर अनुभव कियासाझा कॉन्फ्रेंस में विशेषज्ञों ने शोध पत्र और ई-पोस्टर्स के माध्यम से नवीन तकनीक और उन्नत उपचार पद्धतियों पर अनुभव साझा किया। एम्स भोपाल की डॉ. अंजू यादव और डॉ. खुशबू, इंदौर की डॉ. आयुषी जैन को शोध पुरस्कार प्राप्त हुए। ई-पोस्टर प्रतियोगिता में डॉ. लीना वर्मा और डॉ. प्रशंसा जायसवाल को संयुक्त प्रथम पुरस्कार मिला। डॉ. नितिन पंड्या ने कहा कि उनकी अध्यक्षता में आईडीवीएल मध्यप्रदेश ब्रांच का प्रयास विशेषज्ञों और अकादमिक संस्थाओं के बीच बेहतर संतुलन बनाकर नवीन तकनीक साझा करना है, जिससे मरीजों को नुकसान रहित और सटीक इलाज मिल सके।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Oct 26, 2025, 18:32 IST
पूरी ख़बर पढ़ें »




Bhopal News: दस में आठ लोग किसी न किसी त्वचा रोग से प्रभावित, देश भर के विशेषज्ञों ने साझा की नई तकनीकें #CityStates #Bhopal #MadhyaPradesh #AffectedBySomeSkinDisease #EightOutOfTenPeopleAreAffected #CuticonMp2025 #ExpertsFromAcrossTheCountry #SubahSamachar