Bhopal News: देव मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल में भारी लापरवाही का खुलासा, लाइसेंस रद्द, FIR और गिरफ्तारी की मांग
भोपाल स्थित देव मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल में गंभीर अनियमितताओं के खुलासे के बाद स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है। शिकायतकर्ता रवि परमार द्वारा की गई शिकायत पर CMHO कार्यालय ने जांच कराई, जिसमें अस्पताल में न एमबीबीएस डॉक्टर मिला, न नर्सिंग स्टाफ मौजूद था और ओपीडी भी बंद पाई गई। रजिस्टर के अनुसार पिछले एक महीने में एक भी मरीज भर्ती नहीं पाया गया। जांच में सामने आए कई चौंकाने वाले तथ्य CMHO की टीम ने 17 नवंबर को दोपहर 2 बजे अस्पताल का औचक निरीक्षण किया। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि 16 अक्टूबर 2025 के बाद एक भी मरीज अस्पताल में भर्ती नहीं हुआ, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि अस्पताल लंबे समय से बंद जैसी स्थिति में था और मध्यप्रदेश उपचर्या-गृह नियम 1973 के नियमों का पालन नहीं कर रहा था। एमएलसी रिपोर्ट में भी गंभीर अनियमितता मिली निरीक्षण दल ने पाया कि डॉ. नसीम खान अस्पताल में रेजिडेंट डॉक्टर नहीं थे, फिर भी उनके नाम पर मरीज आराम गुर्जर की प्री-एमएलसी तैयार की गई। इस आधार पर तैयार RSO रिपोर्ट (MLC नं. 030/032) को संदिग्ध मानते हुए जिला मेडिकल बोर्ड से अलग अभिमत मांगा गया है। यह पूरी प्रक्रिया गंभीर कानूनी उल्लंघन और संभावित फर्जीवाड़े की ओर इशारा करती है। लाइसेंस रद्द, लेकिन दंडात्मक कार्रवाई अब भी लंबित CMHO डॉ. मनीष शर्मा ने अस्पताल का लाइसेंस तत्काल रद्द कर दिया और नोटिस अवधि भी नहीं दी, क्योंकि निरीक्षण के दौरान अस्पताल लगभग बंद मिला था। आदेश की प्रतियां अपर मुख्य सचिव, आयुक्त, कलेक्टर, पुलिस कमिश्नर और DCP सहित छह अधिकारियों को भेजी गईं। इसके बावजूद अस्पताल संचालकों और जिम्मेदार डॉक्टरों पर FIR या अन्य कानूनी कार्रवाई नहीं हुई, जिससे विभाग की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। यह भी पढ़ें-भोपल नगर निगम मेंABAS में पंजियन के बाद भी ढ़ाई हजार कर्मचारी अनुपस्थित,सिस्टम फेल या व्यवस्था एनएसयूआई ने कहा-मामला सिर्फ लापरवाही नहीं, बड़ा फर्जीवाड़ा एनएसयूआई ने आरोप लगाया है कि अस्पताल ने सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग किया, मरीजों के फर्जी दस्तावेज बनाए और प्रशासन को गलत जानकारी दी। एनएसयूआई उपाध्यक्ष रवि परमार ने कहा कि सिर्फ अस्पताल बंद कर देना पर्याप्त नहीं है। जब तक FIR, गिरफ्तारी और आर्थिक वसूली नहीं होगी, यह कार्रवाई अधूरी है। यह भी पढ़ें- MP में रिकॉर्डतोड़ ठंड, 12 शहर 10 डिग्री से नीचे, राजगढ़ में सबसे ठंड़ा,आज शीतलहर का अलर्ट एनएसयूआई की प्रमुख मांगें अस्पताल संचालकों और संबंधित डॉक्टरों पर तत्काल FIR और गिरफ्तारी मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान सहित अन्य सरकारी योजनाओं में हुए कथित फर्जीवाड़े की वसूली पूरे मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच स्वास्थ्य विभाग में शामिल उन अधिकारियों की जवाबदेही तय करना, जिन्होंने अस्पताल को संरक्षण दिया
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 21, 2025, 16:21 IST
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