Bhopal News: कमजोर हड्डी और डायबिटीज मरीजों के लिए राहत, एम्स ने विकसित किया नया डेंटल इम्प्लांट, मिला पेटेंट
एम्स भोपाल के मैक्सिलोफेशियल सर्जन डॉ.अंशुल राय ने एक नया और अभिनव डेंटल इम्प्लांट डिजाइन विकसित किया है, जिसे भारत सरकार ने पेटेंट प्रदान किया है। यह इम्प्लांट खासतौर पर उन मरीजों के लिए डिजाइन किया गया है, जिनकी हड्डियां कमजोर हैं या जो डायबिटीज से पीड़ित हैं। ऐसे मरीज जिनके लिए पारंपरिक इम्प्लांट तकनीक अक्सर जटिल या जोखिमभरी होती है। कम दर्द, कम सूजन, और दवाओं की न्यूनतम आवश्यकता इस नए डिजाइन की सबसे बड़ी विशेषता है कि इसे कम ड्रिलिंग के जरिए लगाया जा सकता है। इससे इलाज के दौरान कम दर्द, कम सूजन, और दवाओं की न्यूनतम आवश्यकता होती है। यह इम्प्लांट ऑस्टियोब्लास्ट कोशिकाओं को गहराई तक जोड़ने की क्षमता रखता है, जिससे यह हड्डी से अधिक मजबूती से जुड़ता है और लंबे समय तक टिकाऊ रहता है। यह भी पढ़ें-नेता प्रतिपक्ष ने उठाया सुरक्षा का सवाल, कहा- स्मार्ट मीटर में पाकिस्तानी कनेक्शन, डेटा को खतरा जल्द ही व्यावसायिक उत्पादन होगाशुरू डॉ. अंशुल राय पिछले 20 वर्षों से डेंटल इम्प्लांट सर्जरी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस डिज़ाइन का ट्रेडमार्क आवेदन भी किया जा चुका है और जल्द ही इसका व्यावसायिक उत्पादन शुरू होगा। एम्स भोपाल के निदेशक डॉ. माधवानन्द कर ने इस उपलब्धि पर बधाई देते हुए कहा कि यह परियोजना "आत्मनिर्भर भारत" और "मेक इन इंडिया" पहल से जुड़ी है और इसका उद्देश्य देश के नागरिकों को सस्ते, सुरक्षित और उन्नत डेंटल इम्प्लांट उपलब्ध कराना है। यह भी पढ़ें-प्रदेश के अलग-अलग जिलों से उपभोक्ता पहुंचे भोपाल, बताया दर्द, 200 की जगह आ रहा 2000 का बिजली बिल इम्प्लांट का ट्रेडमार्क आवेदन भी किया डॉ. राय द्वारा विकसित नया डिजाइन कम ड्रिलिंग प्रक्रिया में लगाया जा सकता है। इस वजह से मरीज को कम दर्द, कम सूजन और दवाओं की न्यूनतम आवश्यकता होती है। उन्होंने बताया कि इस इम्प्लांट का ट्रेडमार्क आवेदन भी किया जा चुका है, जो शीघ्र स्वीकृत होने की संभावना है।इस इम्प्लांट की सबसे बड़ी विशेषता इसकी कॉन्टैक्ट ऑस्टोजेनेसिस (Contact Osteogenesis) प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में ऑस्टियोब्लास्ट सेल्स इम्प्लांट की सतह पर जमकर हड्डी को सख्त बनाते हैं। डॉ. राय के नए डिजाइन में ये कोशिकाएं गहराई तक जाकर हड्डी के साथ मजबूत फ्यूजन बनाती हैं, जिससे इम्प्लांट अधिक स्थायी और टिकाऊ बन जाता है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Oct 06, 2025, 19:57 IST
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