Bihar Election: चुनाव आयोग SIR पर जो नहीं बता सका, बिहार सरकार ने वह बताया; अब क्या करेंगे तेजस्वी यादव?

बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव राज्य में चल रहे मतदाताओं के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर निर्वाचन आयोग को घेर रहे हैं। कुछ समय पहले देशभर की 35 प्रमुख राजनीतिक हस्तियों को अंग्रेजी में चिट्ठी लिखी थी कि यह प्रक्रिया मताधिकार छीनने के लिए हो रही है। कल कहा कि अगर यह नहीं रोका गया तो चुनाव बहिष्कार के लिए विपक्षी दलों से समर्थन जुटाएंगे, जनसमर्थन मांगेंगे। पहले भी कहा था और आज बिहार विधानसभा में भी कहा कि उन्हें इस प्रक्रिया से दिक्कत नहीं है, लेकिन चुनाव आयोग के पास न तो नागरिकता जांचने का अधिकार है और न वह इतने लोगों के बीच जाकर यहबड़ी प्रक्रिया इतने कम समय में कर सकता है। गुरुवार को तेजस्वी इन्हीं मुद्दों पर सरकार को घेर रहे थे, लेकिन बिहार की नीतीश कुमार सरकार के मंत्री विजय कुमार चौधरी ने एक झटके में उनसे सारे मुद्दे ही छीन लिए। आखिर क्या हो गया ऐसा परेशानी SIR से नहीं, इसके लिए इतना कम समय देने से है: तेजस्वी हुआ यूं कि तीन दिनों तक विपक्ष ने SIR के मुद्दे पर सदन चलने नहीं दिया था। बुधवार को तो सारी सीमाएं टूटती नजर आईं। पिताजी-बाप क्या नहीं हो गया! हुआ तो आज भी 'बंदर-उछलकूद', लेकिन बुधवार को अति हो गया था। गुरुवार को सदन की शुरुआत में ही विधानसभा अध्यक्ष ने विपक्ष को बता दिया कि आपकी बात मानते हुए मतदाता विशेष गहन पुनरीक्षण पर चर्चा का और समय दिया जा रहा है। तेजस्वी यादव ने कहा कि "मतदाताओं के विशेष गहन पुनरीक्षण से दिक्कत नहीं है। परेशानी इतने कम समय में इस बड़े काम को पूरा करने की बात को लेकर है।" उन्होंने चुनाव आयोग पर सवाल उठाया कि "वह कौन होता है बाहरियों को चुनने वाला चुनाव आयोग का काम निर्वाचन कराना है। आयोग ने जो शपथ पत्र दिया है, उसमें विदेशी या घुसपैठिया या बांग्लादेशी-नेपाली का जिक्र नहीं किया है। और, अगर घुसपैठिया आया है तो यह सरकार का दोष है। 2005 से अबतक नीतीश कुमार सीएम रहे हैं। 2014 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। घुसपैठिया आया है तो यह भी दोषी हैं। हमारा उद्देश्य साफ है कि इस नाम पर वास्तविक वोटर का नाम नहीं कटना चाहिए।" राबड़ी देवी सीएम थीं, तब यही काम इतने ही समय में हुआ था: चौधरी नागरिकता और मताधिकार के सवाल पर मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि "संविधान में लिखा है कि जिसे नागरिकता मिली हुई है, वही मताधिकार रख सकता है। विशेष गहन पुनरीक्षण भी संविधान और लोक प्रतिनिधित्व कानून के तहत हो रहा है। पुनरीक्षण हर चुनाव के पहले होता है।" विशेष गहन पुनरीक्षण पर रोक की मांग के जवाब में चौधरी ने कहा- "गहन पुनरीक्षण इतने समय बाद हो रहा है। इसमें फर्क है। सामान्य पुनरीक्षण में सिर्फ दावे देखे जाते हैं। उसमें किसी का नाम जुड़ता या हटाया जाता है, जो हर चुनाव के पहले होता है। अब 22 वर्षों बाद यह जो विशेष गहन पुनरीक्षण हो रहा है, उसमें एक-एक घर में जाकर देखा जाता है कि वह मतदाता वास्तव में है या नहीं।" बात यहीं तक रहती तो भी विपक्ष के पास मुद्दा बचता। तेजस्वी यादव ने सवाल इतने कम समय को लेकर उठाया था। सो, विजय चौधरी पूरा जवाब लेकर आए थे। उन्होंने बताया- "2003 में भी जो मतदाता गहन पुनरीक्षण हुआ था, उसमें भी हाउस लिस्टिंग का एक महीना ही समय दिया गया था। 15 जुलाई 2003 से 14 अगस्त 2003 के बीच घर-घर जांच की गई थी, इसी तरह। आप लोग भूल गए कि जो काम चुनाव आयोग ने एक महीने में किया है, वह घरशुमारी हमने बिहार की जातीय जनगणना के दौरान हम लोगों ने 7 जनवरी 2023 से 21 जनवरी 2023 तक कराया था। उस समय तो आप (महागठबंधन) हमारे साथ थे।"

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Jul 24, 2025, 16:19 IST
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