बिहार के महाकांड: 10 मिनट में मौत के घाट उतारे गए थे 23 लोग, लाशों के बीच मरने का नाटक कर कई ने बचाई थी जान
बिहार में जातियों के बीच तनाव के हिंसा में बदलने का इतिहास आजादी से भी पहले का रहा है। हालांकि, 1970 के दशक और उसके बाद जातीय हिंसा की घटनाएं बर्बर होने लगीं। 1990 के दशक के मध्य का दौर ऐसा था जब उच्च जातियों के संगठन रणवीर सेना और दलित व पिछड़ी जातियों के बीच का संघर्ष अपने चरम पर पहुंच गया। इसी दौर में भोजपुर में हुआ बथानी टोला नरसंहार और जहानाबाद में हुआ लक्ष्मणपुर बाथे हत्याकांड सबसे चर्चित रहा। जहानाबाद का शंकरपुर बिगहा हत्याकांड भी इसमें शामिल था। 25 जनवरी 1999 को इस खौफनाक घटना को जहानाबद जिले के शंकरपुर बिगहा गांव में अंजाम दिया गया था। बिहार चुनाव से जुड़ी हमारी खास पेशकश बिहार के महाकांड सीरीज के पांचवें भाग में आज इसी शंकरपुर बिगहा नरसंहार की कहानी। बिहार के महाकांड सीरीज से जुड़ी अन्य खबरें यहां पढ़ें बिहार के महाकांड: जब मजदूरी में 32 रुपये मांगना बना था नरसंहार की वजह, नवजात से लेकर गर्भवती तक हुए शिकार बिहार के महाकांड: दंगा जिसमें गई मुख्यमंत्री की कुर्सी, दंगाइयों ने खेत में गाड़कर 108 लाशों पर उगा दी थी गोभी बिहार के महाकांड: जब जमीन की जंग में बहा दलितों का खून, इंदिरा की प्रचंड वापसी की राह बनी बेलछी की हाथी यात्रा बिहार के महाकांड: किसी का गला रेता, कहीं छाती काटी, कोई गोलियों से भूना गया; आधी रात को ऐसे चला था खूनी खेल
- Source: www.amarujala.com
- Published: Apr 16, 2025, 01:05 IST
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