Bihar News: 4415 करोड़ रुपये की यह परियोजना बाढ़ की समस्या से निपटने में करेगी मदद, पढ़िए पूरी खबर

बिहार में बाढ़ की समस्या से निपटने और सिंचाई के आधुनिक प्रबंधन के लिए राज्य मंत्रिमंडल ने विश्व बैंक के साथ कुल 4415.00 करोड़ रुपये की परियोजना को अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके तहत राज्य में प्रभावी सिंचाई प्रबंधन एवं प्रभावी बाढ़ जोखिम प्रबंधन के लिए विश्व बैंक की सहायता से बिहार जल सुरक्षा एवं सिंचाई आधुनिकीकरण परियोजना तैयार की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य संस्थागत क्षमता निर्माण के स्तर से प्रभावी सिंचाई प्रबंधन एवं विकास तथा कुशल सिंचाई प्रणाली का निर्माण करना है। साथ ही, प्रभावी बाढ़ जोखिम प्रबंधन द्वारा आपदा एवं आपातकालीन स्थिति में की जाने वाली तैयारी और प्रक्रिया की क्षमता में वृद्धि करना भी है। उक्त परियोजना के जरिए बिहार के कईजिलों को सीधा लाभ मिलेगा। इसमें बाढ़, जलजमाव और सूखे से प्रभावित जिलों पर अधिक ध्यान केन्द्रित किया जा सकेगा। बाढ़ के खतरे को कम करने के लिए प्रमुख नदियों से अतिरिक्त जलप्रवाह को नियंत्रित करने, अधिक जलप्रवाह की क्षमता को सहन करने के लिए बांधों को अद्यतन तकनीक का प्रयोग कर सुदृढ़ करने तथा सुखाग्रस्त जिलों के लिए सिंचाई स्रोत की ह्रासित सिंचाई क्षमता को पुनर्स्थापित करने की योजनाएं शामिल हैं। यह भी पढ़ें:बिहार कैबिनेट के बड़े फैसले: ऑपरेशन सिंदूर के शहीदों को 50 लाख मुआवजा, गया बना गयाजी; जीविका को मिला अपना बैंक विश्व बैंक से 3090.50 करोड़ रुपये ऋण लेगी बिहार सरकार बताया जा रहा है कि यह इस परियोजना की कुल प्राक्कलित राशि 4415.00 करोड़ रुपये है। इसका 30 प्रतिशत अर्थात् 1324.50 करोड़ रुपये बिहार सरकार द्वारा वहन किया जाएगा एवं शेष 70 प्रतिशत अर्थात् 3090.50 करोड़ रुपये की राशि विश्व बैंक (आईबीआरडी) से ऋण के रूप में ली जाएगी। इस परियोजना के मुख्य चार अवयव हैं। जिसके अन्तर्गत निम्नलिखित राशि का प्रावधान किया गया है। इसमें जलवायु अनुकुल सिंचाई के लिए 2487.00 करोड़ रुपये, बाढ़ जोखिम न्यूनीकरण के लिए 1525.00 करोड रुपये, जल शासन के लिए 243.00 करोड़ रुपये और परियोजना प्रबंधन के लिए 160.00 करोड़ रुपये का प्रावधान है। परियोजना के विभिन्न अवयवों के अन्तर्गत कराये जाने वाले कार्यों का क्रियान्वयन जल संसाधन विभाग (नोडल विभाग) के अतिरिक्त ग्रामीण विकास विभाग एवं कृषि विभाग, बिहार सरकार द्वारा किया जाना है। परियोजना के कार्यान्वयन की समय-सीमा वित्तीय वर्ष 2025-26 से प्रारंभ कर अगले सात वर्षों में पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। किसानों को सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर नहीं रहना होगा इस परियोजना के तहत चिन्हित सिंचाई प्रणालियों का उन्नयन एवं आधुनिकीकरण प्रस्तावित है ताकि राज्य में सिंचाई व्यवस्था वर्षा पर निर्भर न रहे और प्रतिकूल स्थिति में भी सिंचाई की सुविधा कृषकों को उपलब्ध करायी जा सके। इस योजना में सोन, गंडक एवं कोसी बैराजों का पुनर्स्थापन, सोन पश्चिमी मुख्य नहर का आधुनिकीकरण, पश्चिमी कोसी सिंचाई योजनाओं का पुनर्स्थापन एवं आधुनिकीकरण, झंझारपुर शाखा नहर का पुनर्स्थापन एवं आधुनिकीकरण, सारण मुख्य नहर (17.00 से 35.00 किमी तक) का नवीकरण एवं लाइनिंग शामिल हैं। पूर्वी कोसी तटबंध के 25 स्परों काजीर्णोद्धार भी होगा परियोजना के तहत बाढ़ जोखिम न्यूनीकरण के लिए चिन्हित तटबंधो व स्परों का पुनर्स्थापन एवं सुदृढ़ीकरण प्रस्तावित है। पुनर्स्थापन एवं सुदृढ़ीकरण हेतु विश्व बैंक के सम्बन्धित परामर्शियों के सहयोग से अद्यतन रूपांकण तकनीक का उपयोग किया गया है। इसके अंतर्गत प्रमुख योजनाओं में बागमती के बाएँ तटबंध की उच्चीकरण, सुदृढ़ीकरण और पक्कीकरण, कुर्सेला ब्लॉक जिला कटिहार बिहार में गांव पत्यरटोला से कमलाकनी तक कटाव रोधी कार्य, विस्तारित सिकरहट्टा मंझारी बांध का सुदृढ़ीकरण एवं पक्कीकरण के साथ 11 स्पर का जीर्णोद्धार, पूर्वी कोसी तटबंध के 25 स्परों का जीर्णोद्धार शामिल हैं।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: May 17, 2025, 08:22 IST
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