Bihar Elections: बड़ा भाई भाजपा या जदयू...जनादेश पर सबकी निगाहें; मुश्किल में घिरे चिराग की लौ पर भी होगी नजर

बिहार विधानसभा चुनाव का जनादेश न सिर्फ सत्ता का रास्ता तैयार करेगा, बल्कि राजग में बड़े और छोटे भाई की भूमिका पर भी अंतिम मुहर लगाएगा। मंगलवार को दूसरे और अंतिम चरण के मतदान के बाद सबकी निगाहें जनादेश के साथ इस पर भी टिकी हैं कि भाजपा और जदयू में किसके हिस्से ज्यादा सीटें आएंगी। गौरतलब है कि बिहार की सियासत में जदयू के छोटे भाई के रूप में शुरू हुई भाजपा की यात्रा बीते विधानसभा चुनाव में जदयू के तीसरे नंबर पर खिसकने के कारण टिकट बंटवारे में जुड़वा भाई बनने तक पहुंच गई। दरअसल बीते विधानसभा चुनाव के नतीजे ने जदयू और नीतीश कुमार की साख को गहरा धक्का लगाया। राजद, भाजपा के बाद तीसरे नंबर पर खिसकने के बावजूद नीतीश का सीएम पद तो बरकरार रहा, मगर सरकार गठन में जदयू एक एकाधिकार खत्म हो गया। जदयू को न सिर्फ सरकार में भाजपा को खुद से ज्यादा हिस्सेदारी देनी पड़ी, बल्कि पहली बार नीतीश सरकार में भाजपा कोटे के दो-दो डिप्टी सीएम बने। हालांकि इसी कार्यकाल में बढ़े तकरार के बीच नीतीश ने पहले भाजपा से नाता तोड़ राजद की शरण ली, मगर चंद महीने बाद फिर राजग में वापसी की। क्या कहते हैं एग्जिट पोल्स के अनुमान इस बार करीब एक दर्जन एजेंसियों के एग्जिट पोल्स में जदयू की सीटों में बढ़ोत्तरी का अनुमान व्यक्त किया गया है। मैट्रिज ने जदयू को 67 से 75 तो भाजपा को 65 से 73 सीटें मिलने की भविष्यवाणी की है। इन एजेंसियों ने दोनों दलों को करीब-करीब समान सीट मिलने का अनुमान व्यक्त किया है। गौरतलब है कि बीते चुनाव में जदयू की सीटों की संख्या 71 से घट कर 43 और भाजपा की 53 से बढ़ कर 74 हो गई थी। धीरे-धीरे भाजपा ने बढ़ाया आधार इस सदी में भाजपा और जदयू ने साथ-साथ चार चुनाव लड़े। हर बार जदयू के हिस्से अधिक सीटें आईं। मसलन फरवरी 2005 के चुनाव में जदयू 138 और भाजपा 103, अक्टूबर 2005 में जदयू 139 और भाजपा 102, 2010 के चुनाव में जदयू 141 तो भाजपा 102, बीते चुनाव में जदयू 115 और भाजपा 110 और इस चुनाव में जदयू और भाजपा दोनों समान रूप से 101-101 जदयू को फिर बड़ा भाई बनने की उम्मीद जदयू सूत्रों का मानना है कि इस चुनाव में पार्टी एक बार फिर से बड़े भाई की भूमिका में आ जाएगी। इसका कारण जदयू के मूल वोट बैंक का वापस आना, लोजपा आर राजग में शामिल होने से बीते चुनाव में हुए नुकसान की भरपाई होना और भाजपा के वोट बैंक का जदयू में सफल स्थानांतरण होना है। चिराग की लौ पर भी नजर निगाहें चिराग पासवान की पार्टी लोजपा आर के प्रदर्शन पर भी टिकी है। बीते चुनाव में अपने दम पर मैदान में उतरे चिराग अपनी पार्टी की लौ तो नहीं जला सके, मगर जदयू की लौ जरूर मद्धम कर दी थी। इस बार स्थिति उलट है। भले ही चिराग को 29 सीटें मिली, मगर उनमें ऐसी 15 सीटें शामिल हैं, जहां राजग एक बार भी चुनाव नहीं जीत पाया।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Nov 13, 2025, 07:22 IST
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