Kalyan Singh: यूपी के 50 जिलों में कल्याण के लिए भाजपा को कल्याण का सहारा

कल्याण सिंह बेशक हिंदुत्व के बड़े चेहरे के रूप में पहचाने गए। मगर उनका भाजपा ने हिंदुत्व नायक के साथ-साथ पिछड़े नेता के रूप में प्रयोग किया। आज भी भाजपा उनकी इसी ताकत का प्रयोग कर रही है। यूपी के 2024 के लोक सभा चुनाव में कमजोर परिणाम से विचलित भाजपा 2027 से पहले पीडीए की काट पर हर वो प्रयोग कर रही है, जिनके सहारे यूपी में भी हैट्रिक बनाई जा सके। कल्याण सिंह की पुण्यतिथि पर बृहस्पतिवार को आयोजित हिंदू गौरव दिवस भाजपा की उसी कवायद या प्रयास का एक हिस्सा माना जा रहा है। भाजपा को हमेशा रहा उनकी ताकत का अंदाजा भाजपा की स्थापना के बाद 80 के दशक को अगर याद करें तो प्रदेश में कल्याण सिंह व उनके सहयोगी ओमप्रकाश सिंह पिछड़े वर्ग के बड़े नेता के तौर पर जाने जाते रहे। पिछड़े वोटरों को भाजपा से जोडऩे में सफल भी रहे। 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचा टूटने के बाद कल्याण सिंह हिंदुत्व छवि वाले नेता के रूप में पहचाने गए। यही वजह रही कि युवा काल में जनसंघ और फिर भाजपा को एक पौधे के रूप में सींचने वाले कल्याण सिंह की ताकत का अंदाजा भाजपा को भी था। जब पहली बार उन्होंने भाजपा से दूरी बनाई, तब भाजपा को नुकसान हुआ। दूसरी बार दूरी बनाई, तब भी भाजपा को नुकसान हुआ। 2013 में मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से कल्याण सिंह की पुन: भाजपा में वापसी हुई और यूपी में 80 में से 71 सीट 2014 में भाजपा ने जीती। 2024 में सर्वाधिक नुकसान पिछड़ी आबादी वाले पश्चिमी यूपी के जिलों में हुआ। भाजपा रणनीतिकारों ने यही माना कि कल्याण के बिना हर बार भाजपा को पिछड़े वोटों के कारण ही हार या कमजोरी का सामना करना पड़ा। जिसे अब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पीडीए के रूप में खड़ा किया है। बस उसी काट पर भाजपा 2027 के लिए अभी से जुट गई है। बृहस्पतिवार को तरकस से कोई बड़ा पिछड़ा कार्ड खेलकर चुनावी शंखनाद भी कर सकती है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 21, 2025, 11:34 IST
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