Report: 2030 तक भारत की 40% FMCG खपत ऑनलाइन के जरिए होगी, मध्यम वर्ग और युवा उपभोक्ताओं से मिलेगी रफ्तार

भारत का फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) उद्योग में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। रूबिक्स की एक रिपोर्ट के अनुसार 2030 तक देश में कुल एफएमसीजी खपत का लगभग 40 प्रतिशत ऑनलाइन माध्यमों से होगा। ये भी पढ़ें:RBI:आरबीआई के नियमों की हर 5-7 वर्षों में समीक्षा के लिए बनेगा प्रकोष्ठ, केंद्रीय बैंक के गवर्नर का एलान उपभोक्ता लागत की तुलना में सुविधा दे रहे प्राथमिकता रिपोर्ट के अनुसार यह परिवर्तन तेजी से बढ़ते वाणिज्य, खासतौर से शहरी क्षेत्रों के कारण हुआ है। इसमें कहा गया है कि उपभोक्ता लागत की तुलना में सुविधा को अधिक प्राथमिकता दे रहे हैं। यह प्राथमिकता उनके दैनिक आवश्यक वस्तुओं की खरीद के तरीके को नया रूप दे रही है। स्मार्टफोन की व्यापक पहुंच और ऑनलाइन उत्पाद खोज की बढ़ती संस्कृति के साथ, शहरी खरीदार इस डिजिटल बदलाव में केंद्रीय भूमिका निभा रहे हैं। इस प्रवृत्ति ने भारत में डिजिटल फर्स्ट ब्रांडों के तेजी से विस्तार के लिए एक मजबूत आधार भी तैयार किया है। वर्तमान में क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म एफएमसीजी कंपनियों के कुल ई-कॉमर्स राजस्व में लगभघ 35 प्रतिशत का योगदान करत हैं। यह ऑनलाइन बिक्री की संरचना में एक मौलिक बदलाव दर्शाता है। मध्यम वर्ग निभा रहे बड़ी भूमिका मध्यम वर्ग के विकास से एफएमसीजी उद्योग को और भी बल मिल रहा है। यह वर्ग भारत की आबादी का लगभग 31 प्रतिशत है, जो अमेरिका की पूरी आबादी से भी ज्यादा है। अनुमान है कि 2031 यह वर्ग बढ़कर 38 प्रतिशत और 2047 तक 60 प्रतिशत हो जाएगा। उस समय तक भारत का मध्यवर्ग एक अरब से भी अधिक लोगों का समूह होगा, जो उपभोग और घरेलू बाजार दोनों के लिए बेहद अहम साबित होगा। भारत में प्रति व्यक्तिप्रयोज्य आय में हुई बढ़ोतरी भारत में प्रति व्यक्ति प्रयोज्य आय 2023-24 में 2.14 लाख रुपये अनुमानित की गई। वित्त वर्ष 2024 में इसमें साल-दर-साल 8% की स्थिर बढ़ोतरी दर्ज की गई, जबकि वित्त वर्ष 2023 में यह वृद्धि तेजी से बढ़कर 13.3% तक पहुंच गई थी। प्रयोज्य आय क्या है प्रयोज्य आय वह राशि है जो किसी व्यक्ति के वेतन से स्थानीय, राज्य और संघीय करों का भुगतान करने के बाद प्राप्त होती है। इसे प्रयोज्य व्यक्तिगत आय या शुद्ध वेतन भी कहा जाता है। इसका उपयोग वह खर्च करने या बचत करने के लिए कर सकता है। इसकी गणना पूरे देश या क्षेत्र की कुल प्रयोज्य आय को उसकी कुल जनसंख्या से विभाजित करके की जाती है, और यह उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति और अर्थव्यवस्था की सेहत का एक महत्वपूर्ण सूचक है। युवा कर रहे अहम योगदान इस गति को और बढ़ाने में भारत का जनसांख्यिकीय लाभ भी योगदान देता है। केवल 28.4 वर्ष की औसत आयु के साथ, जो चीन के औसत 39.6 वर्ष से लगभग एक दशक कम है, भारतीय उपभोक्ता महत्वाकांक्षी, आकांक्षी और विवेकाधीन खर्च की ओर अधिक झुकाव रखते हैं। यह युवा जनसंख्या, वित्तीय समावेशन और समग्र आर्थिक प्रगति के लिए सरकार के प्रयासों के साथ मिलकर, उपभोग-संचालित वातावरण का निर्माण कर रही है, जो FMCG विकास के लिए अत्यधिक अनुकूल है। शहरी बाजार एफएमसीजी क्षेत्र में दे रहा 65% योगदान रिपोर्ट में कहा गया है कि इस माहौल ने वैश्विक FMCG दिग्गजों के बीच भारत में अपनी उपस्थिति मजबूत करने की नई रुचि जगाई है। वर्तमान में, शहरी बाजार FMCG क्षेत्र के राजस्व में लगभग 65% का योगदान करते हैं। हालांकि, ग्रामीण भारत भी एक मजबूत विकास इंजन के रूप में उभरा है और हाल की तिमाहियों में लगातार शहरी बाजारों से आगे रहा है। जैसे-जैसे आय का स्तर बढ़ रहा है, उपभोक्ता जागरूकता बढ़ रही है, और त्वरित वाणिज्य में वृद्धि जारी है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 25, 2025, 12:22 IST
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