बड़े तूफान से पहले की शांति: दहशतगर्दों के ढांचे को गंभीर नुकसान, लेकिन आतंकी नेतृत्व को उखाड़ फेंकना अभी बाकी
सात से 14 मई का सप्ताह काफी हलचल भरा रहा, जिसके कारण केवल ऑपरेशन सिंदूर पर विराम लगने के अलावा कई सवाल अनुत्तरित रह गए। भारत द्वारा पाकिस्तानी दुस्साहस का उचित तरीके से जवाब दिया गया, लेकिन भारत ने इसका ख्याल रखा कि निर्दोष पाकिस्तानी नागरिकों को कोई बड़ी क्षति न पहुंचे या उनकी जान न जाए। भारतीय बलों ने जवाबी कार्रवाई करते हुए लगातार संयम बरता। दस मई को संघर्ष विराम समझौते के बाद ऑपरेशन सिंदूर पर विराम लगा दिया गया, लेकिन पाकिस्तान ने फिर भी समझौते का उल्लंघन किया, जिसे करारा जवाब दिया गया। उसके बाद से दोनों तरफ से संघर्ष विराम का पालन किया जा रहा है। सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर को स्थगित करते हुए कहा है कि यदि सीमा पार से शत्रुतापूर्ण कार्रवाई होती है, तो अभियान फिर से शुरू किया जाएगा। अचानक संघर्ष विराम की घोषणा ने कुछ लोगों को परेशान कर दिया है। विभिन्न भारतीय और वैश्विक रक्षा विशेषज्ञ अलग-अलग अटकलें लगा रहे हैं, जिनमें एक कारण पाकिस्तान में नाभकीय विकिरण को बताया जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने यह कहकर इस विवाद को तूल दिया कि अमेरिकी अधिकारियों ने संघर्ष विराम की पहल करके दोनों ओर के लाखों लोगों की जान बचाई है। हालांकि, भारत ने इन दावों का खंडन किया है। आईएईए रिपोर्ट इसकी पुष्टि करती है कि पाकिस्तान के भीतर परमाणु विकिरण का कोई रिसाव नहीं हुआ है। वरिष्ठ पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी सैन्य वर्दी में आतंकवादियों के अंतिम संस्कार में शामिल हुए और मारे गए आतंकवादियों को पूर्ण राजकीय सम्मान दिया गया। पिछले कई दशकों से पाकिस्तान दावा करता रहा है कि ये आतंकवादी गैर-सरकारी तत्व या घरेलू जिहादी हैं, लेकिन पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों का वर्दी में उनके अंतिम संस्कार में शामिल होना और उन्हें राजकीय सम्मान देना, उस दावे को कमजोर करता है। मेरी राय में इसके दो संभावित कारण हैं। पहला कारण यह हो सकता है कि जब बहावलपुर और मुरीदके में भारतीय रक्षा बलों द्वारा सटीक हमला कर उन्हें ध्वस्त किया जा रहा था, तब आतंकी बुनियादी ढांचे की रक्षा या बचाव के लिए पाकिस्तानी सेना की ओर से कोई प्रतिक्रिया न होने से पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान में आतंकियों का विश्वास डगमगा गया। इसलिए आतंकी नेतृत्व द्वारा पाकिस्तानी सैन्य नेतृत्व के खिलाफ दुष्टतापूर्ण रुख अपनाने की धमकी ने उन्हें एकजुटता साबित करने के लिए मजबूर किया। दूसरा कारण यह हो सकता है कि पाकिस्तानी प्रतिष्ठान को विश्व समुदाय द्वारा कोई प्रतिरोध नहीं होने का भरोसा है। दूसरा कारण निश्चित रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि आज तक किसी ने भी पाकिस्तान से सवाल नहीं किया है। आश्चर्य की बात यह है कि विश्व के किसी भी मंच से, चाहे वह संयुक्त राष्ट्र हो या अमेरिका/ब्रिटेन/ऑस्ट्रेलिया या कोई अन्य देश, पाकिस्तानी सेना के आतंकवादियों के प्रति इस दोस्ताना रवैये पर कोई निंदात्मक बयान नहीं आया है। इसके विपरीत, तुर्किये और अजरबैजान ने पाकिस्तान को समर्थन प्रदान करना जारी रखा। यही नहीं, आईएमएफ ने पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज दिया। अब भारत को क्या करना चाहिए हमने आतंकवादी ढांचे को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया है, पर आतंकी नेतृत्व को अभी उखाड़ फेंकना बाकी है। नहीं भूलना चाहिए कि मसूद अजहर, जिसके परिवार के दस लोग भारतीय हमले में मारे गए हैं, ने अपने परिजनों की मौत का बदला लेने की कसम खाई है। लश्कर-ए-ताइबा का नेतृत्व भी इससे अलग नहीं है। इसलिए, निम्नलिखित बातों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। हमारी सैन्य सुरक्षा में कोई कमी नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर स्थगित हुआ है, बंद नहीं किया गया है। अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर वायु रक्षा ग्रिड और घुसपैठ रोधी ग्रिड को सक्रिय और जीवंत बनाए रखने की आवश्यकता है। भले ही पाकिस्तान अल्पकालिक घुसपैठ के प्रयास को टाल सकता है। लेकिन ऐसा आतंकियों के बारे में नहीं कहा जा सकता, जो शायद कुछ और ही सोच रहे हों। हमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए यदि वे अपने आकाओं की अवहेलना करें और स्वयं घुसपैठ का प्रयास करें। इसके अलावा, पाकिस्तान भारत में अपने स्लीपर सेल को सक्रिय कर सकता है। भारत की समुद्री तटरेखा के साथ-साथ नेपाल और बांग्लादेश सीमाओं का बेहतर प्रबंधन विशेष जरूरी है, ताकि आतंकियों के भारत में पहुंचने के किसी भी प्रयास को विफल किया जा सके। ऑपरेशन सिंदूर से संबंधित नागरिक सुरक्षा उपायों को जो गति मिली है, उसे जारी रखना चाहिए। जिला और राज्य स्तर पर नियमित रूप से समय-समय पर नागरिक सुरक्षा अभ्यास और कार्रवाइयां पूरी तत्परता से की जानी चाहिए। सिंधु जल संधि को उचित ही निलंबित रखा गया है, ताकि पाकिस्तान के लोग समझें कि ऐसा उनके मुल्क के आतंकवादी प्रकृति के कारण हुआ है। पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेनकाब करने की जरूरत है, जिसमें आतंकवादी समूह द रेजिस्टेंस फोर्स (टीआरएफ) की आतंकवादी गतिविधियों के बारे में यूएनएससी 1267 प्रतिबंध समिति की निगरानी टीम को शामिल करना और उन्हें वैश्विक आतंकवादी समूहों की सूची में शामिल करने की मांग करना शामिल है। अन्य देशों के अलावा, तुर्किये और अजरबैजान जैसे दुश्मन के मित्र देशों को यह एहसास कराया जाना चाहिए कि पाकिस्तान के युद्ध-प्रयासों का समर्थन करने पर भारत के साथ उनके प्रत्यक्ष व्यापार और कारोबार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। भारतीय जनता ने पहले ही इन देशों के गंतव्यों और वस्तुओं का बहिष्कार शुरू कर दिया है और इसके संकेत जमीन पर दिखाई देने लगे हैं। ऑपरेशन सिंदूर खैबर पख्तुनख्वा, बलूचिस्तान, सिंध या गिलगित-बाल्टिस्तान में पाकिस्तान की दमनकारी नीतियों को उजागर करने का अवसर दिया है। वहां के लोगों का नैतिक रूप से समर्थन करना चाहिए। पाकिस्तान द्वारा निर्यात किए जाने वाले आतंक का खात्मा शुरू हो चुका है। अब गेंद पाकिस्तान के लोगों के पाले में है कि वे अपने राजनीतिक-सैन्य-आतंकवादी गठजोड़ के नेतृत्व के असली नापाक इरादों को समझें। अगर इस घृणित गठजोड़ ने सीमाओं का उल्लंघन किया, तो पाकिस्तान का विनाश निश्चित है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: May 17, 2025, 06:11 IST
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