Chaitra Navratri 2025: नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की आराधना, जानिए महत्व, पूजाविधि और मंत्र
Chaitra Navratri 2025 Day 7 Maa Kalratri Puja Vidhi:मां दुर्गा जी की सातवीं शक्ति देवी कालरात्रि की पूजा नवरात्रि के सातवें दिन की जाती है। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार देवी कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं अर्थात इनकी पूजा से शनि के दुष्प्रभाव दूर होते हैं। मां कालरात्रि को यंत्र, मंत्र और तंत्र की देवी भी कहा जाता है। नवरात्रि के सातवें दिन देवी कालरात्रि की पूजा का विशेष महत्व होता है। देवी भागवत पुराण के अनुसार, देवी कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत उग्र और भयावह है, लेकिन वे भक्तों के सभी प्रकार के भय को नष्ट करने वाली हैं। इनकी साधना करने से साधक के जीवन में आने वाली हर बाधा दूर होती है और उसे आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। देवी कालरात्रि दुष्ट आत्माओं, राक्षसों और नकारात्मक शक्तियों का नाश करती हैं, इस कारण उन्हें "शुभंकारी" भी कहा जाता है। Ram Navami 2025:6 या 7 अप्रैल कब मनाई जाएगी राम नवमी यहां जानें सही तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि देवी कालरात्रि की पौराणिक महिमा देवी भागवत पुराण में उल्लेख मिलता है कि जब दानवों का अत्याचार बढ़ा और वे धर्म के मार्ग से विचलित हो गए, तब देवी ने कालरात्रि रूप धारण करके उनका संहार किया। उनका वर्ण अंधकार के समान श्याम है, उनके बाल बिखरे हुए हैं, और वे तीन नेत्रों वाली हैं। उनके चार हाथों में से दो में अस्त्र-शस्त्र रहते हैं और दो हाथ वरद एवं अभय मुद्रा में होते हैं। उनका वाहन गर्दभ (गधा) है, जो उनकी निर्भीकता का प्रतीक है। देवी की आराधना करने से न केवल शत्रुओं से रक्षा होती है, बल्कि साधक को आध्यात्मिक शक्ति और आत्मबल की प्राप्ति भी होती है। Friday Astrology Remedies:शुक्रवार के दिन करें ये अचूक उपाय, खुश होंगी मां लक्ष्मी, पैसों से भरी रहेगी तिजोरी पूजा विधि कलश पूजन करने के उपरांत माता के समक्ष दीपक जलाकर रोली, अक्षत, फल, पुष्प आदि से पूजन करना चाहिए। इस दिन मां दुर्गा के साथ-साथ देवी कालरात्रि के स्वरूप का मन ही मन ध्यान करें । देवी को लाल पुष्प बहुत प्रिय है इसलिए पूजन में गुड़हल अथवा गुलाब का पुष्प अर्पित करने से माता अति प्रसन्न होती हैं। माता को गुड़ का भोग लगाएं। इसके बाद धूप, दीप, पुष्प और नैवेद्य अर्पित कर मां का ध्यान करना चाहिए, मां काली के ध्यान मंत्र का उच्चारण करें। बीज मंत्र ॐ ऐं ह्रीं क्रीं कालरात्र्यै नमः।। ध्यान मंत्र एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥ वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा। वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥ इन मंत्रों का जप करने से साधक की समस्त समस्याएं दूर होती हैं और उसे निडरता एवं आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Apr 03, 2025, 17:32 IST
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