जर्मनी में सत्ता परिवर्तन : हर मर्ज का इलाज ढूंढने की चुनौती, नये निजाम की परीक्षा लेगी खस्ता अर्थव्यवस्था
रविवार को हुए जर्मनी के चुनाव में फ्रेडरिक मर्ज और उनकी सेंटर-राइट क्रिश्चियन डेमोक्रेिटक पार्टी विजयी होकर उभरी है, लेकिन यह खुशी बनी रहे, इसके लिए उन्हें कुछ बातों का विशेष ख्याल रखना होगा। अगली सरकार को, जिसका नेतृत्व निश्चित तौर पर चांसलर के रूप में फ्रेडरिक मर्ज करेंगे, एक मंद होती अर्थव्यवस्था का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने जर्मनी के महत्वपूर्ण निर्यात पर टैरिफ लगाने की धमकी दी है और यह यूक्रेन युद्ध का भी चौथा साल है। इन सभी का असर जर्मनी की आंतरिक अर्थव्यवस्था पर पड़ना तय है। इसके अलावा, इन मुद्दों को हल करने की क्षमता सरकारी ऋण और घाटे पर सख्त सीमाओं के कारण बाधित है, जिससे उच्च सैन्य खर्च को वित्तपोषित करना, ढहते बुनियादी ढांचे को अद्यतन करना और अन्य पहलों को लागू करना मुश्किल हो रहा है, जो अर्थशास्त्रियों के मुताबिक विकास को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण हैं। ऋण-रोक नामक नियम पर विवाद ने सेंटर-लेफ्ट सोशल डेमोक्रेटिक के चांसलर ओलाफ शोल्ज की सरकार को गिरा दिया, जिससे समय से पहले ही चुनाव का रास्ता साफ हो गया। इस नियम को शिथिल करने के लिए संविधान में संशोधन की खातिर संसद में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी, और चुनाव परिणाम से पता चलता है कि इतना समर्थन जुटाना मुश्किल होगा। चुनाव के अगले ही दिन फ्रेडरिक मर्ज से अन्य राजनेताओं, अर्थशास्त्रियों और यहां तक कि पारंपरिक रूप से रूढ़िवादी केंद्रीय बैंक ने भी यह आह्वान किया कि नई सरकार देश की आर्थिक मांगों के अनुरूप व्यय सीमा को तत्काल समायोजित करने का तरीका ढूंढे। बुंडेसबैंक ने सोमवार को एक रिपोर्ट में लिखा, सिद्धांत रूप में, सार्वजनिक ऋण अनुपात कम होने पर बदलती परिस्थितियों के अनुसार ऋण-रोक की उधार सीमा को अनुकूलित करना पूरी तरह से न्यायसंगत है। जर्मन सरकार का ऋण सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 60 प्रतिशत से थोड़ा अधिक है, जो ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका जैसे देशों की तुलना में बहुत कम है, जहां ऋण जीडीपी के 100 प्रतिशत के करीब या उससे अधिक है। लेकिन रविवार के चुनाव के बाद फ्रेडरिक मर्ज को उम्मीद है कि 208 सीटों वाली उनकी क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक और 120 सीटों वाली सोशल डेमोक्रेटिक के बीच दो-पक्षीय गठबंधन बनेगा, जिसे संविधान में संशोधन के लिए जरूरी दो-तिहाई बहुमत हासिल करने के लिए अन्य दलों पर निर्भर रहना पड़ेगा। चरमपंथी दलों-बाईं तरफ डाय लिंके और दाईं तरफ अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) ने 630 सीटों वाली संसद में पर्याप्त सीटें जीतीं। इससे नई सरकार के लिए विकल्प सीमित हो गए हैं, जिसे 2025 का बजट विरासत में मिलेगा, जो पहले ही 13 अरब यूरो या 13.6 अरब डॉलर की कमी पर है। फ्रेडरिक मर्ज ने एएफडी के साथ सहयोग करने से इन्कार किया है। इसका मतलब है कि उन्हें डाय लिंके को, जो उधार लेने का विरोध करती है, सेना पर खर्च करने के लिए मनाना होगा। ग्रीन्स, जिसने 85 सीटें जीतकर चौथा स्थान हासिल किया है, एक अन्य समाधान पेश करते हैं। उन्होंने सोमवार को फ्रेडरिक मर्ज और निवर्तमान सरकार में शामिल पार्टियों-सोशल डेमोक्रेट्स, ग्रीन्स और फ्री डेमोक्रेट्स (जिसकी अगली संसद में एक भी सीट नहीं होगी) से आह्वान किया कि वे मौजूदा संसद के पास कानून पारित करने के लिए बचे 30 दिनों में या तो विशेष रक्षा कोष या ऋण-रोक में ढील देने के लिए दबाव डालें। फ्रेडरिक मर्ज ने इस सुझाव पर टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया, लेकिन उन्होंने इस तरह के कदम पर विचार करने के लिए सामान्य खुलापन दर्शाया, तथा बताया कि अतीत में संसद ने चुनाव के तुरंत बाद विदेश में सैन्य मिशनों से संबंधित कानून पारित करने के लिए इस अवसर का उपयोग किया था। उन्होंने कहा कि हमारा विचार-विमर्श अभी खत्म नहीं हुआ है। जर्मन सेना को बहुत अधिक धन की आवश्यकता होगी। लेकिन इस पहल का समर्थन करने वाले कई अर्थशास्त्रियों ने इस तरह के कदम के समय और लोकतांत्रिक वैधता पर सवाल उठाए हैं। इनमें जॉर्ग कुकीज भी शामिल हैं, जो निवर्तमान सरकार में वित्त मंत्री हैं और सोशल डेमोक्रेट हैं। कुकीज ने मीडिया को बताया कि सबसे पहले तो समय बहुत कम है, और दूसरा, यदि सांविधानिक संशोधन अब पुराने बहुमत से किए गए, तो यह एक संदिग्ध राजनीतिक संकेत होगा। ऋण पर रोक हटाने के अलावा, नई सरकार को व्यापारिक नेताओं की मांगों पर भी ध्यान देना होगा, ताकि जर्मनी को कार और मशीनरी सहित उन बाजारों में चीनी प्रतिद्वंद्वियों से बढ़ते खतरे से मुकाबला करने में मदद मिल सके, जिन पर कभी जर्मन कंपनियों का दबदबा था, तथा ट्रंप प्रशासन की ओर से नए टैरिफ के खतरे से निपटने में भी मदद मिल सके। सोमवार को एक बयान में शक्तिशाली औद्योगिक लॉबी संगठन बीडीआई ने कहा, व्यापार जगत को स्थिर सरकार और वास्तविक आर्थिक बदलाव की उम्मीद है। अलग-अलग संशोधन और सुधार अब स्थिति की गंभीरता के साथ न्याय नहीं करते हैं। इसके बजाय, नीति को विकास की शक्तियों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। व्यवसायियों, अर्थशास्त्रियों और अन्य लोगों के अनुसार, इन प्रयासों में ऊर्जा की लागत कम करना, कठोर नियमों में कमी करना, बुनियादी ढांचे में अधिक निवेश करना और सार्वजनिक सेवाओं के डिजिटलीकरण में तेजी लाना शामिल है। जर्मनी का आर्थिक विकास राजनीतिक गतिरोध और इससे पैदा होने वाली अनिश्चितता से भी बाधित हुआ है। चुनाव से एक हफ्ते पहले सार्वजनिक टेलीविजन पर किए गए सर्वेक्षण में लगभग एक तिहाई मतदाताओं ने कहा कि वे चाहते हैं कि फ्रेडरिक मर्ज की पार्टी सोशल डेमोक्रेट्स के साथ मिलकर एक महागठबंधन सरकार बनाए और अब जब कि मर्ज का सरकार बनाना तय ही है, तो उन्हें याद रखना होगा कि अपने चुनावी अभियान के दौरान उन्होंने इन सभी आर्थिक मुद्दों को जोर-शोर से उठाया था और इन पर कड़ा रुख अपनाने की बात भी कही थी। नहीं भूलना चाहिए कि अमेरिका के बाद यूक्रेन का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता जर्मनी ही है। ऐसे में, अमेरिकी रणनीतियों के साथ बदलते वैश्विक हालात ही जर्मनी की नई सरकार के सम्मुख सबसे बड़ी चुनौती होंगे।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Feb 27, 2025, 06:48 IST
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