Cloudburst in Himachal and J K: कुल्लू और मंडी में बादल फटने से दो की मौत, किश्तवाड़ में मिले 4 शव।

जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश समेत पश्चिमी हिमालयी राज्यों में बारिश का कहर जारी है। मंगलवार को हिमाचल के कुल्लू और मंडी जिलों में बादल फटने से दो लोगों की मौत हो गई। दो पुल और पांच मकान व दुकानें और कई बीघा कृषि भूमि बह गई। कुल्लू-कालंग सड़क आवाजाही के लिए बंद हो गई है। इससे दुर्गम चार पंचायतों का संपर्क कट गया है। वहीं, जम्मू-कश्मीर में किश्तवाड़ जिले के चिशौदी में मलबे से चार और शव मिले हैं, जिसको मिलाकर आपदा में मृतकों की संख्या 67 हो गई है।हिमाचल प्रदेश में किन्नौर कैलाश यात्रा मार्ग पर पहाड़ से गिरे पत्थर की चपेट में आने से एक श्रद्धालु की मौत हो गई। मृतक की पहचान गौरव निवासी गाजियाबाद के रूप में हुई है। अब तक यात्रा पर पांच श्रद्धालुओं की मौत हो गई है। इसको देखते हुए प्रशासन ने यात्रा पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। यात्रा 30 अगस्त तक होनी थी। जो श्रद्धालु यात्रा पर निकले गए हैं, उन्हें मलिंग खट्टा से वापस भेजा जा रहा है। राजधानी शिमला के बैनमोर में भूस्खलन के चलते हिमुडा कॉलोनी से 40 लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया है। मंगलवार शाम क प्रदेश में एक एनएच समेत 357 सड़कें बंद रहीं। वहीं, 872 बिजली ट्रांसफार्मर और 140 पेयजल योजनाएं भी ठप हैं।आपदा प्रभावित किश्तवाड़ के चिशोती में चार और शव बरामद किए गए, जिनमें दो महिला और दो पुरुष के शव हैं। मंगलवार को छठे दिन भी लापता लोगों की तलाश में एनडीआरएफ, सेना और सीआईएसएफ की टीमें लगी रहीं। ड्रोन और खोजी कुत्तों की मदद भी ली जा रही है। सुबह आठ बजे के करीब एक घर से महिला का शव मिला। उसके बाद मचैल यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बनाए गए लंगर रसोई के पास एक पुरुष का शव मिला। एक महिला का शव पेड़ से लटका पाया गया। टनों मिट्टी तले दबे इन शवों की पहचान भी मुश्किल से हो पा रही है। जम्मू में अचानक आई बाढ़ में बहे आठ साल की लड़की और 20 साल के युवक का शव राजोरी और पुंछ जिले की सीमा के पास मिला है। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि चिशोती हादसे के हालात सबके सामने हैं। करीब 70 लोग लापता हैं। दबे लोगों के जिंदा मिलने की उम्मीद बहुत कम है। पुंछ जिले में कनूईयां बेला में पुलत्स्य नदी की दो धाराओं के बीच फंसे 30 लोगों को निकालने के लिए पुलिस, सेना, एसडीआरएफ और एसओजी की टीमों ने चार बार रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। लोगों के इन्कार करने पर टीमों को बैरंग लौटना पड़ा। लोगों का कहना है कि उनके साथ दूध देने वाली भैंसे भी हैं जिन्हें छोड़कर वहां से नहीं निकलेंगे। सभी लोग पांच से छह परिवारों के हैं। जहां फंसे हैं उसके आगे पीछे कई कनाल कृषि भूमि है और इसके दोनों तरफ पुलत्स्य नदी की धाराएं बह रही हैं। प्रदेश में 22 अगस्त से भारी बारिश की चेतावनी भी जारी की गई है जिससे स्थिति और गंभीर होने का खतरा है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Aug 20, 2025, 14:57 IST
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