कोलंबस और उनकी नौ जिंदगियां: वे नायक व संत थे या शैतान? रहस्यपूर्ण जीवन पर रोशनी डालती है एक पुस्तक
चंगेज खां, नेपोलियन, ईसा मसीह के साथ क्रिस्टोफर कोलंबस उस विशिष्ट समूह का हिस्सा हैं, जिनका नाम दुनिया के अरबों लोगों की जुबान पर आता ही रहता है। कोलंबस ने समुद्र पार किया, यह तो सभी मानते हैं, लेकिन उनकी जीवनी और विरासत से जुड़ी हर बात 500 से भी ज्यादा वर्षों से कई व्याख्याओं, अटकलों और मनगढ़ंत कहानियों का विषय रही है। अपनी मनोरंजक कृति द नाइन लाइव्स ऑफ क्रिस्टोफर कोलंबस में मशहूर इतिहासकार मैथ्यू रेस्टॉल कोलंबस के जीवन से जुड़े सभी विवरणों का परीक्षण करते हैं। लेकिन, ये परीक्षण उस वास्तविक कोलंबस से कम जुड़े हैं, जिसे ऐतिहासिक अभिलेखों से जोड़ा जा सके, बल्कि ये उनकी समुद्र के नायक और अवतार जैसी प्रचलित छवियों से अधिक संबंधित हैं। रेस्टॉल की किताब कहती है कि जैसे बिल्ली के नौ जीवन कहे जाते हैं, उसी तरह अगर कोलंबस को समझना है, तो उन्हें एक व्यक्ति के बजाय एक दूरगामी सांस्कृतिक घटना की तरह देखना होगा, जिसके कई आयाम हैं। इन आयामों को वह कोलंबियाना कहते हैं। किताब के अनुसार, कोलंबस के बारे में हर नई कहानी तब लोकप्रिय होती है, जब वह स्थापित मान्यता को रोचकता के चरम तक खींच देती है। उनसे जुड़े मिथकों का एक सामान्य प्रस्थान बिंदु यह है कि कोलंबस के बारे में बेहद कम जानकारियां उपलब्ध हैं। इससे व्याख्याओं के कई दरवाजे खुल जाते हैं, जिनमें उन्हें यूनान, नॉर्वे, कोर्सिका, स्पेन, डेनमार्क, पुर्तगाल या फिर अन्य स्थानों से जोड़ा जाता है और एक समुद्री डाकू, एक यहूदी या फिर रहस्यमयी इन्सान के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। रेस्टॉल द्वारा चिहि्नत किए गए कोलंबस के नौ जीवन इतने व्यापक हैं कि इनके आगे कोलंबस के पार्थिव शरीर और उनके ठिकाने को लेकर स्पेन व डोमिनिक गणराज्य के बीच हुए विवाद गौण लगते हैं। इसके विपरीत, एक संत के रूप में कोलंबस की कहानी बेहद दिलचस्प है। दरअसल, अमेरिका में कैथोलिक धर्म के प्रसार के उद्देश्य से उन्हें ईश्वर का एक साधन बनाने के प्रयास कोलंबस के जीवन काल में ही शुरू हो गए थे। ऐसे प्रयास कामयाब तो नहीं हुए, लेकिन इससे कोलंबस की एक ईश्वरीय शक्ति के रूप में प्रतिष्ठा यकीनन बढ़ गई। खासकर अमेरिका में यह प्रतिष्ठा तेजी से फैली, जहां वाशिंगटन को राष्ट्र का पिता और कोलंबस को दादा माना गया। उनकी संत की छवि ने प्रतिक्रिया का एक मंच भी तैयार किया, जिससे उनकी जिंदगी के अप्रिय विवरण प्रसारित होने लगे। कोलंबस पूरी जिंदगी कर्ज में डूबे रहे, मुकदमों में फंसे रहे और मौत के बाद भी उनकी प्रतिष्ठा के साथ छेड़छाड़ की जाती रही। कुल मिलाकर, रेस्टॉल की यह किताब एक ऐसे व्यक्ति के बारे में कुछ नया और दिलचस्प कहने में सक्षम है, जिसके बारे में सब कुछ पहले ही कहा जा चुका है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Oct 19, 2025, 05:43 IST
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