Korba: बीमा कंपनी की मनमानी के खिलाफ उपभोक्ता आयोग का सख्त आदेश, क्लेम के अलावा भी 1.50 लाख चुकाने होंगे
उपभोक्ता आयोग ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को बीमा दावा खारिज करने के मामले में मृतक के परिजनों को 16,50,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है। आयोग ने बीमा कंपनी की कार्रवाई को 'सेवा में कमी' और 'अनुचित व्यवहार' करार देते हुए यह फैसला सुनाया है। यह निर्णय बीमा कंपनियों द्वारा तकनीकी आधारों पर दावों को खारिज करने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। यह मामला 3 फरवरी 2022 की रात का है, जब एनटीपीसी साडा कॉलोनी, जमनीपाली निवासी जयेश रोहन बेन अपने साथी के साथ बुलेट मोटरसाइकिल से महाराजा चौक, दुर्ग से बोरसी रोड की ओर जा रहे थे। इसी दौरान सामने से आ रही एक अन्य तेज रफ्तार और लापरवाहीपूर्वक चलाई जा रही बाइक ने उनकी मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी। इस भीषण दुर्घटना में जयेश को गंभीर चोटें आईं और दुखद रूप से उनकी मृत्यु हो गई। पुलिस ने इस घटना को लेकर अपराध क्रमांक 0648/2022 के तहत थाना पदमनाभपुर में मामला दर्ज किया था। मृतक जयेश की मोटरसाइकिल यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की 'कंपलसरी पर्सनल एक्सीडेंट (सीपीए) ओनर-ड्राइवर' बीमा पॉलिसी के तहत बीमित थी। यह पॉलिसी 07.10.2021 से 06.09.2022 तक प्रभावी थी, और मृतक के पिता को इस पॉलिसी में नॉमिनी के रूप में दर्ज किया गया था। दो साल की देरी से सूचना देने पर बीमा कंपनी ने दावा किया खारिज दुर्घटना के लगभग दो साल बाद, 6 फरवरी 2024 को, मृतक जयेश के पिता ने 15 लाख रुपये के सीपीए क्लेम के लिए बीमा कंपनी में आवेदन किया। बीमा कंपनी ने मामले की जांच के लिए एक जांच अधिकारी नियुक्त किया। जांच में यह पुष्टि हुई कि दुर्घटना वास्तविक थी, बीमा पॉलिसी दुर्घटना के समय प्रभावी थी, मृतक एक वैध ड्राइविंग लाइसेंसधारी थे, और बीमा की सभी शर्तों का पालन किया गया था। इन सब तथ्यों के बावजूद, बीमा कंपनी ने 18 मार्च 2025 को दावा खारिज कर दिया। कंपनी ने अपने निर्णय का आधार केवल सूचना देने में हुई 2 साल की देरी को बताया। उपभोक्ता आयोग ने बीमा कंपनी के इस तर्क को सिरे से खारिज कर दिया। आयोग ने माना कि परिवादी (मृतक के पिता) ने बीमा कंपनी को सूचना देने में देरी की थी, लेकिन यह देरी उचित कारणों से हुई थी। मृतक के पिता ने बताया कि उनके पुत्र की मृत्यु से छह महीने पहले उनकी पत्नी का भी निधन हो गया था, जिसके कारण वे मानसिक रूप से काफी टूट गए थे और लंबे समय तक अवसादग्रस्त रहे। आयोग ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि "मात्र विलंब के आधार पर वैध बीमा दावा अस्वीकार नहीं किया जा सकता"। जब दुर्घटना, मृत्यु और बीमा पॉलिसी सभी बातें प्रमाणित हों, तब बीमा कंपनी की ऐसी कार्रवाई सेवा में कमी की श्रेणी में आती है। उपभोक्ता आयोग ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को बीमा दावा राशि के 15,00,000 रुपये, आर्थिक क्षति के लिए 50,000 रुपये, मानसिक क्षति के लिए 50,000 रुपये, वाद व्यय व अन्य खर्च के 50,000 रुपये मिलाकर कुल राशि 16,50,000 रुपये देने को कहा है। इस निर्णय से मृतक जयेश के पिता ने गहरी संतुष्टि व्यक्त की। उन्होंने कहा, "मेरे बेटे और पत्नी दोनों को खोने के बाद जीवन बहुत कठिन हो गया था। बीमा कंपनी का रवैया असंवेदनशील था, लेकिन उपभोक्ता आयोग के निर्णय से मेरा न्याय पर विश्वास बहाल हुआ है।"
- Source: www.amarujala.com
- Published: Nov 13, 2025, 18:54 IST
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