मुद्दा : वैश्विक सूचकांकों के विरोधाभास, समझ से परे हैं खुशहाली और बदहाली के पैमाने

विश्व खुशहाली 2025 की रिपोर्ट में 147 देशों के सूचकांक में भारत को 118वें स्थान पर रखा गया है। सूचकांक में पाकिस्तान 109वें एवं नेपाल 92वें स्थान पर है। सभी भारतीय एक सिरे से इस रिपोर्ट को अस्वीकार करते हैं, क्योंकि हिंसा-आतंकवाद, गरीबी और महंगाई से परेशान पाकिस्तानी, मुद्रास्फीति से त्रस्त नेपाली और पिछले तीन वर्षों से युद्ध झेल रहे यूक्रेनी नागरिकों को भी खुशहाली सूचकांक में भारतीयों से ज्यादा खुश दिखाया गया है। यह भी आश्चर्य का विषय है कि इस्राइल आठवें स्थान पर है, जो अब भी युद्ध से गुजर रहा है। संघर्ष और गृहयुद्ध से जूझ रहे फलस्तीन को भी 99वीं रैंक दी गई है। प्रथमदृष्टया यह रिर्पोट अपने आप में ही संदिग्ध प्रतीत होती है, क्योंकि भारत ने बीते दशक में 105 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हासिल की है। भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। भारत में गरीबी के स्तर में कमी आने के साथ-साथ शहरी और ग्रामीण आर्थिक असमानता में भी कमी आई है। विश्व खुशहाली सूचकांक में फिनलैंड को सबसे ज्यादा खुश देश बताया गया है और वह लगातार आठ साल से पहले स्थान पर है। लेकिन फिनलैंड के आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां करते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, फिनलैंड में 16 से 20 प्रतिशत लोग मनोविकारों से जूझ रहे हैं। सात प्रतिशत से अधिक लोग अवसाद में जी रहे हैं, जो अवसादग्रस्त देशों की सूची में नौवें नंबर पर है, जबकि भारत 81वें नंबर पर है। फिनलैंड में तलाक लेने की दर 61 प्रतिशत है, जबकि इसके विपरित भारत में लगभग दो प्रतिशत लोग ही तलाक लेते हैं। विश्व खुशहाली सूचकांक रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में सस्टेनेबल डेवलपमेंट सॉल्यूशंस नेटवर्क द्वारा प्रकाशित की जाती है, जो गैलप वर्ल्ड पोल से प्राप्त डाटा पर आधारित होती है, जिसे छह पैमानों-प्रति व्यक्ति जीडीपी, स्वस्थ जीवन प्रत्याशा, सामाजिक समर्थन, स्वतंत्रता, उदारता और भ्रष्टाचार के स्तर के आधार पर मापा जाता है। रिपोर्ट प्रति व्यक्ति जीडीपी व्यक्तिगत स्वतंत्रता और भ्रष्टाचार के संबंध में भारत की रैंकिंग में सुधार की बात तो करती है, लेकिन जिस अनुपात में भारतीय अर्थव्यवस्था में परिवर्तन हुआ है, उस अनुपात से कम अहमियत देना रिपोर्ट बनाने वालों के पक्षपात को अधिक दिखाता है। यह रिपोर्ट कम सामाजिक समर्थन, धन के असंतुलित वितरण एवं मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं पर चिंता व्यक्त करने के साथ-साथ कम सूचकांक भी प्रदान करती है। रिपोर्ट बनाने वाले भारतीय संस्कृति को शायद ठीक से समझ नहीं पाए हैं। पश्चिमी देशों में लोग अकेलेपन का सामना करते हैं, जबकि भारत में परिवार व्यवस्था लोगों को भावनात्मक रूप से मजबूत बनाती है। हर महीने कोई न कोई त्योहार लोगों को सामाजिक जुड़ाव के साथ खुशी भी देता है। अंतर यह है कि पश्चिमी देशों में व्यक्तिगत आजादी और आर्थिक संपन्नता को मुख्य आधार माना जाता है, जबकि भारत में संतोष और सामूहिकता अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। अहम प्रश्न यह है कि खुशहाली सूचकांक मापदंडों में भारत की स्थिति अच्छी होने के बावजूद वह रिपोर्ट की रैंकिंग में पीछे क्यों है इसका प्रमुख कारण सैंपल लेने की दोषपूर्ण प्रक्रिया है। विश्व खुशहाली सूचकांक रिपोर्ट मात्र 1,000 लोगों के सर्वे पर आधारित है। भारत जैसे देश, जिसकी आबादी 140 करोड़ से भी ज्यादा है, वहां महज 1,000 लोग खुशी का पैमाना कैसे तय कर सकते हैं अब सवाल यह भी है कि भारत के लिए जिन 1,000 लोगों का सैंपल लिया गया, उसमें यह जानना भी महत्वपूर्ण होता है कि उनका धर्म, संस्कृति और जीवनशैली का तरीका क्या है शहरी जनसंख्या पर किया गया सर्वेक्षण गांव में रहने वाले किसानों, आदिवासी और मध्यम वर्ग परिवारों की खुशी को कैसे तय कर सकता है विश्व खुशहाली सूचकांक की केवल शोध व्यूह रचना ही दोषपूर्ण नहीं है, बल्कि यह भारत की प्रगति को कम आंकने से ज्यादा बदनाम करने की कोशिश अधिक है। उल्लेखनीय है कि इस रिपोर्ट को तैयार करने वाली संस्था को फंडिंग बिल गेट्स फाउंडेशन, रॉकफेलर फाउंडेशन द्वारा की जाती है। ये वही लोग हैं, जिन पर भारत के खिलाफ गलत नैरेटिव और एजेंडा चलाने के आरोप लगते रहे हैं। विश्व खुशहाली सूचकांक बनाने वाली संस्था को न केवल अपने पक्षपातपूर्ण रवैये में परिवर्तन लाना होगा, बल्कि सांस्कृतिक और जनसंख्यात्मक अंतर मापदंडों को उचित रूप से भारित भी करना होगा। यदि विश्व खुशी रिपोर्ट को अधिक वैश्विक, निष्पक्ष और वैज्ञानिक बनाना है, तो इसे केवल पश्चिमी मानकों पर आधारित नहीं रखना चाहिए, बल्कि अलग-अलग देशों की प्राथमिकताओं को भी ध्यान में रखना चाहिए। इस तरह की व्यापक दृष्टि अपनाने से इस रिपोर्ट की प्रामाणिकता और स्वीकार्यता बढ़ सकती है।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Apr 18, 2025, 07:00 IST
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