Jammu News: बाहरी बता भर्ती से बाहर की गई महिला बनेगी शिक्षक
14 साल बाद फैसला, न्यायाधिकरण ने कहा -15 साल जिले की निवासी न होना नियुक्ति में बाधा नहीं बन सकताअमर उजाला ब्यूरोजम्मू। केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) ने शादी के बाद दूसरे जिले की निवासी बताकर शिक्षक भर्ती चयन प्रक्रिया से बाहर की गई महिला को राहत दी है। कैट ने जम्मू-कश्मीर सेवा चयन बोर्ड को महिला को शिक्षक के पद पर तैनाती देने का आदेश दिया है। करीब 14 साल बाद आए फैसले में कहा गया है कि पति बीते 15 सालों से उसी जिले का निवासी है, लेकिन महिला नहीं है तो भी 15 साल तक उसी जिले की निवासी होने का नियम नियुक्ति में बाधा नहीं बन सकता। जम्मू की रेहाड़ी कॉलोनी की अर्चना गुप्ता ने साल 2011 में कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में अर्चना ने बताया कि उसकी शादी साल 2008 में जम्मू जिले में हुई। 2010 में उसने जिला उपायुक्त कार्यालय में निवास प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया। 28 मार्च, 2011 को उसके पक्ष में प्रमाण पत्र जारी किया गया। इसी बीच जम्मू-कश्मीर सेवा चयन बोर्ड ने साल 2010 में विज्ञापन जारी कर अध्यापक के पदों के लिए जिले के स्थायी निवासियों से आवेदन मांगे। याचिकाकर्ता ने भी इसमें आवेदन किया। पहली परीक्षा पास करने के बाद इंटरव्यू देने से महिला को रोक दिया गया। रोकने के पीछे बोर्ड की ओर से वजह बताई गई कि महिला जिले की स्थायी निवासी नहीं है। महिला के पक्ष में जो प्रमाण पत्र जारी किया गया है, वह भी नौकरी के लिए आवेदन जमा करने की आखिरी तारीख के बाद का है। नियम पितृसत्तात्मक विचार से प्रभावित, महिलाओं से भेदभावमामले में फैसला सुनाते हुए न्यायिक सदस्य राजिंदर सिंह डोगरा ने कहा कि मामले में आवेदक को बिना किसी गलती के बाद अपना मूल जिला छोड़ना पड़ा। ऐसे में उससे ये उम्मीद करना कि वह 15 साल से उसी जिले की निवासी हो, भेदभावपूर्ण होगा। इस तरह के नियम को मानना पितृसत्तात्मक विचार से प्रेरित है। मामले की सुनवाई के दौरान पाया गया कि लिखित परीक्षा में महिला के अंक कट ऑफ मेरिट से ज्यादा थे। इसलिए कैट ने उसे नौकरी का हकदार मानते हुए एक महीने के भीतर सामान्य श्रेणी के तहत जिला जम्मू में शिक्षिका के रूप में नियुक्त करने का आदेश दिया है।
- Source: www.amarujala.com
- Published: Feb 27, 2025, 03:51 IST
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