जाति का निर्धारण जन्म से, अधिकारियों की भूल से बदल नहीं सकती: हाईकोर्ट
- बहाल किए राजोरी के भजनोवा पंचायत के सरपंच और पंच - कोर्ट ने कहा, सरकारी दस्तावेजों में गलती के आधार पर किसी की जाति या पद नहीं छीना जा सकताजम्मू। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने राजोरी जिले के नौशेरा की भजनोवा पंचायत में निर्वाचित सरपंच संतोष कुमारी और अन्य पंचों के जाति प्रमाण पत्र रद्द करने का आदेश खारिज कर दिया। इसके साथ ही उन्हें उनके पदों पर बहाल कर दिया गया। कोर्ट ने पाया कि राजोरी के अतिरिक्त उपायुक्त के पास जाति प्रमाण पत्र रद्द करने या निर्वाचित प्रतिनिधियों को पद से हटाने का अधिकार नहीं था। न्यायमूर्ति संजय धर ने कहा कि जाति जन्म से निर्धारित होती है और इसे सरकारी गलती या रिकॉर्ड में गड़बड़ी के कारण बदला नहीं जा सकता। प्रतिवादियों को 2022 में वशिष्ठ राजपूत समुदाय से होने का आरोप लगाकर अयोग्य ठहराया गया था। हालांकि, कोर्ट ने पुराने राजस्व रिकॉर्ड और 2017 की सरकारी जांच रिपोर्ट के हवाले से स्पष्ट किया कि वे बसित समुदाय से हैं, जिसे 1956 के राष्ट्रपति आदेश के तहत अनुसूचित जाति में शामिल किया गया है।जाति स्थिर होती हैउच्च न्यायालय ने कहा कि जाति स्थिर होती है और जन्म से तय होती है। सरकारी दस्तावेजों में गलती होने पर भी व्यक्ति की सच्ची जाति नहीं बदलती। कोर्ट ने आदेश दिया कि अगर पंचायत प्रतिनिधियों का वर्तमान कार्यकाल समाप्त न हुआ हो तो 12 मार्च, 12 अप्रैल और 10 मई, 2022 के आदेशों को रद्द करते हुए प्रतिनिधियों को उनके पदों पर बहाल किया जाए। जेएनएफ
- Source: www.amarujala.com
- Published: Sep 23, 2025, 02:54 IST
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