Chandigarh News: कोर्ट ने कहा- तीन दशक से अलग रह रहे विवाह का मूल सार खत्म, तलाक का आदेश

-अमृतसर की फैमिली कोर्ट ने 2020 में कर दी थी तलाक से जुड़ी याचिका खारिज -पति-पत्नी 1994 से रह रहे थे अगल, 2016 में पति ने दाखिल की थी तलाक याचिका ---अमर उजाला ब्यूरोचंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने 1994 से अलग रह रहे जोड़े को तलाक का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि जब पति-पत्नी में से कोई एक तीन दशकों से भी ज्यादा समय तक बिना किसी सुलह या सहवास के अलग रहने का फैसला करता है तो विवाह का मूल सार ही खत्म हो जाता है। कोर्ट ने कहा कि इतने समय बाद जो बचता है वह सिफ एक कानूनी बंधन है जिसमें कोई ठोस आधार नहीं है। इतने लंबे अलगाव के बाद दोनों पक्षों को साथ रहने के लिए मजबूर करना अवास्तविक होगा और वास्तव में दोनों पक्षों पर और अधिक मानसिक क्रूरता थोपेगा। अमृतसर की एक पारिवारिक अदालत ने 2020 में पति की 2016 में दायर तलाक की याचिका को खारिज कर दिया था। याचिका में तर्क दिया गया था कि जोड़ा केवल छह महीने ही साथ रहा था और पत्नी के कथित गलत आचरण के कारण उनका रिश्ता बेहद तनावपूर्ण था। पति ने 1996 में भी तलाक के लिए अर्जी दी थी लेकिन 1999 में अमृतसर की एक अदालत ने उसे खारिज कर दिया था। 1999 में ही उच्च न्यायालय ने भी उसकी अपील खारिज कर दी थी। तीन दशक पुराने वैवाहिक मामले में मुकदमेबाजी का यह दूसरा दौर था। पत्नी 1987 में अपने मायके चली गई थी। पति ने कहा कि सुलह के बार-बार प्रयासों के बावजूद पत्नी वापस लौटने को तैयार नहीं हुई। हालांकि वह सितंबर 1993 में मायके वापस आ गई लेकिन कथित तौर पर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने से इन्कार कर दिया। 1994 में उसने उसे हमेशा के लिए छोड़ दिया। दूसरी ओर पत्नी ने उत्पीड़न का आरोप लगाया और पति के खिलाफ भरण-पोषण की कार्यवाही भी दायर की। उसने एक आपराधिक शिकायत भी दर्ज कराई जिसमें आरोप लगाया गया कि पति ने दूसरी शादी कर ली है और उसके दो बच्चे हैं। न्यायालय ने कहा कि जब विवाह टूट चुका हो अपनी सारी जीवंतता खो चुका हो और एक मृत औपचारिकता से अधिक कुछ न रह गया हो तो पुनर्मिलन पर जोर देना न केवल निरर्थक होगा बल्कि दोनों पक्षों की पीड़ा को और बढ़ाने के समान होगा। इस प्रकार न्यायालय ने अपील स्वीकार कर ली और पारिवारिक न्यायालय के फैसले को रद्द कर दिया।

  • Source: www.amarujala.com
  • Published: Sep 01, 2025, 20:06 IST
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